Ajmer: नगर निगम एक और सफाई के बड़े दावे करता दिखाई देता है .वहीं स्मार्ट सिटी में सफाई कर्मचारियों की कमी का स्थानीय समाचार पत्रों में कई बार उजागर होने बाद भी हाल जस के तस बने हैं ।
निगम के अधिकारीयों पर कई बार फर्जी कर्मचारियों के नाम वेतन उठाए जाने के आरोप भी लगे.लेकिन अपनी नींद में सो रहे इन अधिकारियों के इस खेल को आज तक कोई IAS अधिकारी नही देख पाया ?
इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोक सेवकों को हिस्सा बराबर मिलता रहे तो कोई जांच ,किसी प्रकार की करवाई नही होगी .
ऐसा नहीं की आम जनता अपनी भागीदारी इनके जानकारी में लाकर नही निभा रही हो ,लेकिन अजमेर निगम को मानो चहुं ओर से ही भ्रष्टाचार की जंग ने ढक दिया हो .
अजमेर की सफाई व्यवस्था हो या इन अधिकारियों के पदों के कर्तव्य जब इनका आला अधिकारी ही नही जानता हो तो वह भी इनसे कैसे काम करवाए.
सवाल यह है कि जब उच्च अधिकारियों को पद देते समय उनके कर्तव्य ही नही बताए जाते हो तो वह सिर्फ फाइल पर चिड़िया बैठाने के अलावा करें भी क्या.
ऐसा ही हाल अजमेर के स्वास्थ्य अधिकारी का है,जो दशकों से पद पर हैं लेकिन उनको आज तक निगम के नियम और उनके खुद के अधिकार ही नहीं पता ?
उनका कार्यकाल इस माह के अंत में समाप्त भी हो जाएगा ,जल्द ही वह भी अजमेर के किसी एक हिस्से के पार्षद भी बन जाएं . जैसा हमारे पूर्व उपायुक्त आज वर्तमान में पार्षद है ,जिनको यह बारीकियां पता है कि कहां से निगम में रहते हुए करोड़ पति बना जा सकता है ।
हालांकि हमारे स्वास्थ्य अधिकारी को अजमेर में कभी कोई आनासागर झील , आस पास की अवैध कॉलोनियों , निगम की संपत्ति पर किए माफियाओं के कब्जे ,सफाई कर्मचारियों से संबंधित जानकारी, सड़कों पर हो रहे अवैध डेयरी बूथ के निर्माण आदि चांदी की खनक के आगे नही दिखाई दिए.
हालांकि ऐसे अधिकारियों को अजमेर नगर निगम में उच्च अधिकारी मान सम्मान भी बहुत देते हैं,जिससे वह अपने कार्यकाल में रहते हुए पीढ़ियों के लिए व्यवस्था कर सकें.
साथ ही उच्च अधिकारी अपनी आंख बंद रखने के लिए समस्त फाइलों को वर्क लोड बताकर सालों तक बंद रख ऐसे अधिकारियों का बखूबी ईमानदारी से साथ निभाते आ रहे हैं . उनको पता है , सिस्टम के अनुसार वह तो दो साल में चले जायेंगे,पिछले दो साल में अजमेर निगम में तीन आयुक्त आ चुके लेकिन फाइलें वहीं की वहीं दबी हुई हैं ।
शायद यही वो जंग लगा सिस्टम है, जहां IAS अधिकारी भी इनके आगे लाचार मजबूर होकर अपने वेतन लेने से मतलब रखते हैं . कारण एक ही हो सकता है एक दूसरे के लिए भ्रष्टाचार की नब्ज दबी होना जिसका फायदा निचले स्तर के कर्मचारी अपने एक ही पद पर या कार्यालय में अपनी पूरी जिंदगी निकाल देते हैं ,जिनको भ्रष्ट्राचार की बारीकियां पता होती है,सरकार चाहे किसी की हो लेकिन यह अपने पद पर ही रहते हैं ।
देश की कोई एजेंसी इन पर करवाई नही कर सकती , यह लोग अपने कार्यकाल को पूरा कर ऐशो आराम की जिंदगी से बिता लेते हैं । जिनको सलाखों में होना चाहिये वह लोग आने वाले नए कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के गुर सिखा रहे होते हैं ।
ऐसा ही हाल देखने को मिला जहां सफाई कर्मियों के नाम से वेतन कोई और उठा रहा हो, जहां सफाई कर्मी की जगह 11 वीं कक्षा की छात्रा से सड़कों पर सफाई करवाई जा रही है । जिस बच्ची को सुबह पढ़ाई में व्यस्त होना चाहिए ,उसे उसके परिजन की मजबूरी के कारण सड़को पर झाड़ू लगाने को मजबूर होना पढ़ रहा है .
अजमेर के वार्ड 71 में निगम के स्वास्थ्य अधिकारी और जमादार का यह खेल देखने को मिला ,ऐसा नहीं की यह सब जानकारी यहां के स्थानीय पार्षद को नही ,लेकिन सिस्टम को जंग लगाने वाले यह आपस में मिलीभगत कर सरकार को लम्बे समय से चुना लगा रहे हैं ।
इस बाबत पूर्व में स्थानीय निवासी ने सफाई कर्मियों की सूचना भी मांगी थी , जो नही दी गई .
अजमेर नगर निगम में फर्जी नामों से वेतन उठाया जाना लम्बे समय से चल रहा हैं, कभी किसी उच्च अधिकारी ने सफाई कर्मचारियों का स्त्यापन नही करवाया ,जिसका मुख्य कारण आम जन के द्वारा दी गई इस प्रकार की जानकारी को निगम के अधिकारियों द्वारा दबा दिया जाता है ।
वर्तमान में हमारे घरों से कचरा लेने आने वाली गाड़ियों में भी आप देख सकते हैं की अधिकारियों ने छोटे बच्चों को गाड़ियां दे रखी है, जो अपनी मस्ती में गाड़ियां लेकर चला रहे हैं । इसमें कोई शक नही की यह बच्चे भी किसी और की जगह ही इस कार्य कर रहे हों । वेतन कोई और उठा रहा हो ।
निगम में हो सकता है कर्मचारियों की हाजरी पूरी हो लेकिन धरातल पर आधे भी कर्मचारी आपको देखने को नही मिलें.
अजमेर नगर निगम में दशकों से पदस्थ स्वास्थ्य अधिकारी रूपा राम चौधरी जी जल्द ही शासन और प्रशासन को ढेंगा दिखाकर सेवानिवृत भी हो जाएंगे और उच्च अधिकारी अपना मुंह लेकर इनके विदाई समारोह में इनके बखान भी करते दिखाई दे जायें.
चाहे एसीबी, सीबीआई, सीआईडी हो इन पर जब तक कोई करवाई नही करेगी जब तक कोई बलि का बकरा बनकर इनको नहीं जगाएगा , उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थ पर कभी कोई कार्यवाही के लिए नही लिखेगा ,न्यायपालिका भी स्वत संज्ञान नही लेगी , शासक तो शासक है …ऐसा हमारा देश का सिस्टम है ।
इस कृत्य से सिस्टम को चलाने वालों को और मजबूती से अपने आप को ताकतवर दिखाने का मौका मिल जाता है ।
अजमेर नगर निगम में यह जंग दस्तूर मानते हुए जारी रहेगा,इसे हटाना अब शायद किसी उच्च अधिकारी के जमीर पर से धूल हटाने के बराबर है ,जिसे कौन हटाए?
जब तक आने वाले उच्च अधिकारी अपने जमीर और अपने कुल की मर्यादा को नही समझेंगे तब तक जनता के टैक्स को इस प्रकार के अधिकारी लूट कर जाते रहेंगे और यह उच्च अधिकारी फाइलों के अंबार लगाते जायेंगे ,जनता सिर्फ अपनी छाती पिटती रहेगी ।
मेरा देश महान सौ में से ………
देवेंद्र सक्सेना
पब्लिक साथी।