राइट टू हेल्थ बिल बिना उचित सुधार (अमेंडमेंट) के पास ना हो।
press release
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम से एसडीएम को ज्ञापन
राइट टू हेल्थ बिल बिना उचित सुधार (अमेंडमेंट ) के पास ना हो।
राजस्थान सरकार ने दिनांक 22 सितम्बर को राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा के पटल पर रखा है। इस बिल को बिना चिकित्सक समुदाय से विस्तृत चर्चा किए विधानसभा में रखा गया है जिस पर राज्य का चिकित्सक समुदाय एवं निजी अस्पताल आक्रोशित हैं । बिल के निम्न बिंदुओं पर निजी अस्पतालों को आपत्ति है एवं सरकार से बिल में सुधार की माँग करते है
- बिल में सभी निजी अस्पतालों को आपतकालीन परिस्थिति में बिना शुल्क लिए इलाज के लिए कहा गया है लेकिन न तो बिल में ये बताया गया है कि कौन कौन सी अवस्थाएं आपातकालीन मानी जाएँगी तथा न ही ये बताया गया कि मरीज द्वारा शुल्क न जमा कराए जाने की स्थिति में अस्पतालों के बिल के भुगतान की प्रक्रिया क्या होगी । यदि आपातकालीन अवस्था की विस्तृत परिभाषा नहीं दी गई तो हर मरीज आपातकालीन अवस्था बता कर शुल्क देने से बचे तथा मरीजों व अस्पतालों के बीच विवाद की घटनाएं बढ़ेगी। नागरिकों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाना मूलतः सरकारों दायित्व होता है अतः वे मरीज जो निजी अस्पतालों में इलाज का शुल्क व खर्च जमा करवाने में असमर्थ रहें उनके इलाज खर्च का पुनर्भुगतान सरकार द्वारा इक्कीस दिन में सुनिश्चित किया जाये।
- ऐक्ट के अंतर्गत बनाई जाने वाली जिला एवं राज्य स्तरीय समिति में चिकित्सकों व अस्पतालों के संगठनों का प्रतिनिधित्व हो ताकि किसी भी विवाद का निष्पक्ष समाधान किया जा सके ।
03 जिस तरह बिल में मरीजों के अधिकार सुनिश्चित किये गए हैं उसी प्रकार अस्पतालों के अधिकारों अधिकारों का इस बिल में कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया है और अस्पताल और डॉक्टर अपनी कंप्लेंट लेकर किसके पास जाए इसका भी इस बिल में कोई प्रावधान नहीं है।
04 निजी संस्थानों व निजी चिकित्सकों को बिना शुल्क लिए सेवाओं के लिए बाध्य किया जाना सविधान के अर्टिकल 19 (1) का उल्लंघन है।
यह बिल सरकार अपनी मंशा के अनुसार पास करने की इच्छा रख रही है जिसमें जो मेन स्टेकहोल्डर्स अस्पताल और डॉक्टर है उनका किसी भी तरह से ध्यान नहीं रखा गया है और अगर यह पास हो जाता है तो जनता के साथ साथ अस्पतालों को भी काफी क्षति पहुंचेगी और जो प्राइवेट अस्पताल पूरे राजस्थान में60% परसेंट से ज्यादा सेवाएं दे रहे हैं उन्हें काम करने में काफी तकलीफ आएंगी और वह इस बिल के तहत वह क्वालिटी सर्विसेज दे पाएंगे या नहीं पाएंगे या इमरजेंसी में मरीज का इलाज करेंगे ,नहीं करेंगे, कैसे करेंगे ,बिना भुगतान के बिना पैसों के यह सब असंभव प्रतीत होता है ।तो ये बिल लाने से पहले सरकार को दोबारा इसमें अमेंडमेंट करनी चाहिए और जो सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर्स है उनकी राय लेनी चाहिए ।
सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के लिए लोकप्रियता और प्रचार पाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार के लिए केवल एक कानून पेश करने, सार्वजनिक सहानुभूति प्राप्त करने और परोक्ष रूप से निजी स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को ध्वस्त करने और कुचलने से निश्चित रूप से उद्देश्य पूरा नहीं होगा। राज्य सरकार को जनता के स्वास्थ्य के सभी पहलुओं पर काम करना चाहिए, और राज्य में प्रमुख रूप से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले निजी स्वास्थ्य संस्थानों की सहायता और समर्थन के साथ राज्य में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए ।
इस बिल से संबंधित ऐसे अनेक मांगों के लिए आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान ने सामूहिक आह्वान किया और किशनगढ़ के सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया और एसडीएम को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन दिया ताकि इस बिल को पास होने से पहले इसमें जो कमियां है उनको दूर करी जाए।
इस अवसर पर आई एम ए किशनगढ़ के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक जैन , उपचार की फाउंडर मेंबर और आईएमए के सेक्रेटरी डॉ मंजू राठी, डॉ. हेमंत शर्मा, डॉ संजय राठी, डॉ. राजकुमार जैन ,डॉ एमके , बोहरा इत्यादि मौजूद रहे।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और उपचार ने यह आवाहन किया है कि अगर आज यह बिल बिना उचित अमेंडमेंट के पास हो जाता है तो इस बिल के विरोध में सभी अस्पताल और डॉक्टर पूरे स्टेट में आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
डॉ अशोक जैन
डॉ मंजू राठी