अजमेर , वैशाली नगर स्थित आवासन मंडल के सेक्टर – 1,2,3 उसके साथ ही संतोषी माता मंदिर के सामने बने 10/ व 11/ सेक्टर के मकानों का कौन धनी धौरी ?
जी हां आपको जानकार ताजुब होगा कि स्थानीय निवासी और आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र सक्सेना पिछले कई सालों से यह जानने में लगे हुए है , कि आखिरकार आवासन मंडल ने आवंटियों को मकान तो दे दिया ,लेकिन आज दिन तक उक्त क्षेत्रों में विकास कार्य जैसे सड़क , नाली , लाइट आदि की देखभाल करना किस सरकारी विभाग की जिम्मेदारी है ?
ऐसा नहीं की यहां विकास नही हुआ .. मकानों को तोड़कर ,होटल, ढाबे, मॉल,शोरूम , बहुमंजिला इमारतें आदि बनाए गए वहीं नेता जी की मेहरबानी से उन प्रतिष्ठानों के बाहर चौड़ी सड़क, जरूर बनवा दी गई, नालियां भले दिखे या नही कोई बात नही ? जूस वाले आधी सड़क पर अपने ग्राहकों के बैठने के लिए कुर्सी ,टेबल लगा सकता है । शो रूम वाला आधी सड़क पर अपने होडिंग ,उपकरण रख सकता है । स्थानीय पुलिस भी पूरा सहयोग इन दुकानदारों को करती है ,जिससे दुकानदारों को कोई परेशानी ना आए ।
इस सब के लिए प्रशासन लिखित में निर्माणों को परमिशन दे भी रहा है ? लेकिन किसी भी विभाग को यह नही पता की कार्यवाही कौन करेगा ? ओर निर्माणों की परमिशन ,नक्शे के कागजात कौन सील ठप्पे लगाकर दे रहा है ?
यहां तक की विभागों द्वारा अजमेर जिला कलेक्टर को नगर निगम , अजमेर विकास प्राधिकरण , आवासन मंडल ने अपने पत्र लिखकर जानकारी पूर्व में ही दे दी थी , की उक्त क्षेत्र हमारे क्षेत्राधिकार में नही आता ?
उसके बावजूद आज दिनांक तक विभागों की आपसी सांठ गांठ से दोनो विभाग नगर निगम और आवासन मंडल की आपसी उगाई चल रही है , अजमेर जिला कलेक्टर को भी अंधकार में रख झूठे मनघड़ंत जवाब बनाकर राज्य और विभाग को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे ,लेकिन न जाने अजमेर जिला कलेक्टर महोदय भी इस पर अपनी आंखें बंद कर ध्यान मगन हो गए ? ओर इन विभागों के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी आज दिनांक तक नही दिए गए , क्यों बचा रहे ,यह तो श्रीमान जी ही जाने ?
क्यों नही हो रही कार्यवाही :- स्थानीय निवासी देवेंद्र सक्सेना ने एक ई मेल 22/10/2019 को तत्कालीन जिलाधीश महोदय को अवैध,निर्माण , गंदे पानी की निकासी ,निर्माणों की स्वीकृति से संबंधित शिकायत भेज राहत /जिम्मेदारी अग्रिम कार्यवाही की गुहार लगाई ।
इस पर सक्सेना द्वारा शिकायत पर क्या कार्यवाही हुई इसकी जानकारी लेने के लिए । जब इस बाबत सूचना का अधिकार के तहत आवेदन कर जिला कलेक्टर , कार्यालय अजमेर से जानकारी चाही गई ? तो अति.कलेक्टर महोदय ने अपना दायित्व निभाते हुए ,जानकारी अन्य विभागों में हस्तांतरित कर इतिश्री कर ली ,सक्सेना को जब अपनी कॉलोनी से संबंधित सूचना नही मिली तो जिला कलेक्टर महोदय के समक्ष प्रथम अपील की लेकिन प्रथम अपील में अपीलार्थी को सुने बिना ही दोनो विभागों न. नि. व आवासन मंडल द्वारा उपरोक्त वर्णित क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र में नही होना बताया ओर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल प्रथम अपील का निस्तारण कर दिया गया ?
इस पर सक्सेना द्वारा राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील कर आयोग को बताया की सूचना अवेध निर्माणों/व्यवसायिक निर्माण से संबंधी चाही गई थी,परंतु संबंधित दोनो विभागों ने वर्णित क्षेत्र एक दूसरे के अधिकार में होना बताते हुए अपने कार्यालय में भ्रष्टाचार को बड़ा दे रहे हैं ।चाही गई सूचना में किसी विभाग ने जिम्मेदारी नही ली है ।
अपनी लिखित बहस सक्सेना द्वारा आयोग में दिनांक 6/8/2021 को सुनवाई के दौरान पेश की गई ,जिसमें आयोग को बताया गया कि CIC/MHOME/A/2019/137966 सुनवाई दिनांक 15/7/2021 के वक्त देश के प्रधान मुख्य सूचना आयुक्त श्रीमान वाई. के. सिन्हा द्वारा लोक सूचना अधिकारी के समक्ष जाहिर किया की अपीलार्थी का आवेदन बिना वजह इधर उधर घुमाया जा रहा है,जो अधिनियम के प्रावधानों की खुली अवहेलना है । सक्सेना ने आयोग में उपस्थित होकर आयुक्त नारायण सिंह बारेठ को बताया कि मेरे प्रकरण में भी चाही गई सूचना को मूल छुपाते हुए गलत सूचना दी जा रही है । इसलिए आवेदन को इधर उधर घुमाया जा रहा है, अतः श्रीमान आयुक्त महोदय निर्णय में विभाग की जिम्मेदारी तय करें ।
इस पर आयोग में आयुक्त द्वारा सक्सेना को आश्वस्त किया गया कि जिम्मेदारी तय कर अपील का निस्तारण कर दिया जाएगा, अतः निर्णय कर आपको प्रतिलिपि भेज दी जाएगी । सक्सेना को आयोग से निर्णय दिनांक 6/8/2021 अपील संख्या cic/ajmer/a/2020/102378 की प्रति प्राप्त हुई । जिसमें निर्णय दिया गया कि अपीलार्थी द्वारा सूचनाएं विशिष्टविहीन है तथापि सूचना विनिश्चय से अवगत करवाया गया है जो उचित एवं पर्याप्त है अपील खारिज की जाती है
आपको यहां बताना चाहूंगा कि राजस्थान सूचना आयोग के कई फैसले(निर्णय) इस प्रकार आते देखे तो राजस्थान के सभी आर टी आई एक्टिविस्टों ने राजस्थान सूचना आयोग में पदस्थापित मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्तों को अधिनियम और कानून की जानकारी के लिए किसी प्रकार की शिक्षा,कार्यशाला,प्रशिक्षण दिया गया है या नही की जानकारी चाही गई । इस पर आयोग से मिले जवाब में जानकारी दी गई की इस प्रकार का कोई प्रशिक्षण पदस्थापित आयुक्त को नही दिया गया हैं ।
सक्सेना की द्वितीय अपील का भी निस्तारण इस ही प्रकार से पदस्थापित आयुक्त( पत्रकार) रह चुके नारायण सिंह बारेठ साहब द्वारा किया गया ,जिसमें अपनी सुनवाई के दौरान हुई बहस में सक्सेना ने क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माणों /नक्शे आदि के लिए विभाग की जिम्मेदारी तय कर निर्णय की गुहार आयोग के समक्ष लगाई । लेकिन हुआ वही की सूचना आयुक्तों को नियम , कानून की किसी प्रकार की जानकारी नही होने से निर्णय पास बैठे निजी सचिव, रीडर, अफसरों से सांठ गांठ करके कुछ भी फैंसला लिखवा देते हैं , आयुक्त को पता भी नही होता की क्या लिखा है, क्या नही क्योंकि निर्णय में आयुक्त महोदय के ह्ताक्षर तक नही करवाए जाते । इससे शंका होती है कि आयुक्त महोदय अपने निजी स्टाफ के साथ मिलकर राज्य सरकारों को अब तक कितना नुकसान पहुंचा चुके होंगे ?जनता को मिले अधिकार का कितना हनन हो रहा है , जब हमारे देश और राज्य के मुख्य न्यायिक अधिकारी अयोग्य होंगे तो हम अंदाजा लगा सकते हैं कि आमजनता के हित में बने इस अधिनियम को राजस्थान सूचना आयोग में आयुक्तों ओर कर्मचारियों के द्वारा कानून को रखैल बनाकर काम किया जा रहा होगा ,निर्णय दिए जा रहे होंगे ?
Rtiएक्टीविस्ट देवेंद्र सक्सेना
प्रथम पब्लिक पुलिस प्रेस
अजमेर