1. केरल के चर्च प्रबंधन पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल के चर्च प्रबंधन विवाद में जैकोबाइट सीरियन चर्च और मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के बीच यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
पृष्ठभूमि:3 दिसंबर को छह चर्चों का प्रशासन मलंकारा गुट को सौंपने का निर्देश दिया गया था।
दोनों गुटों ने इस आदेश का पालन करने में असमर्थता जताई।
आगामी सुनवाई:विस्तृत सुनवाई 29 और 30 जनवरी, 2025 को होगी।
राज्य सरकार को निर्देश:स्थिति बिगड़ने पर प्रेरक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी गई।
2. यौन उत्पीड़न और हत्या मामले में मौत की सजा बदली
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में चार वर्षीय बच्चे के यौन उत्पीड़न और हत्या के दोषी की मौत की सजा को 25 साल जेल की सजा में तब्दील कर दिया।
न्यायालय का तर्क:अपराध खौफनाक था, लेकिन इसे दुर्लभतम श्रेणी में नहीं रखा गया।
सजा का स्वरूप:दोषी को बिना किसी छूट के 25 साल जेल में रहना होगा।
3. बिना सुनवाई अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के सदस्य अतहर परवेज को जमानत दी, जो प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान गड़बड़ी की साजिश के आरोप में जेल में था।
न्यायालय का रुख:संरक्षित गवाहों के बयान अपर्याप्त।
सुनवाई जल्द पूरी होने की संभावना नहीं, इसलिए आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में रखना अनुचित।
मूलभूत सिद्धांत:उचित सुनवाई के बिना आरोपी को लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
4. हाईकोर्ट न्यायिक अधिकारी से स्पष्टीकरण नहीं मांग सकता
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि हाईकोर्ट किसी फैसले पर न्यायिक अधिकारी से स्पष्टीकरण नहीं मांग सकता।
मामला:राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश अयूब खान के एक फैसले को अनुशासनहीनता बताया।
हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:स्पष्टीकरण केवल प्रशासनिक मामलों में मांगा जा सकता है।
न्यायिक स्वतंत्रता का सम्मान आवश्यक।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने चर्च प्रबंधन, यौन उत्पीड़न के मामलों में सजा के स्वरूप, हिरासत अधिकार, और न्यायिक स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित की है। ये फैसले न्यायिक प्रक्रियाओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मूलभूत दिशा प्रदान करते हैं।