Sawai Madhopur- सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद, सवाई माधोपुर जिले में अवैध बजरी खनन और परिवहन का धंधा बेरोकटोक जारी है। खासकर मित्रपुरा थाने के सामने से रात के अंधेरे में अवैध बजरी से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली और डम्पर गुज़रते हुए देखे गए हैं। इससे पुलिस की भूमिका और थानाधिकारी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
पुलिस और खनन माफिया की मिलीभगत?
मित्रपुरा थाने के सामने से रोज़ाना दर्जनों डम्पर और ट्रैक्टर-ट्रॉली निकलते हैं, जिनमें अवैध रूप से निकाली गई बजरी भरी होती है। इस दौरान पुलिस की ओर से कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती, जिससे इनकी मिलीभगत का अंदेशा होता है। यहां तक कि थाने के पास लगी हाई मास्क लाइट, जो करीब 200 मीटर तक रोशनी देती है, अवैध बजरी के वाहनों के गुजरने के समय बंद कर दी जाती है।
लाइट बंद करने की रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, जब डम्पर थाने के सामने से गुजरते हैं तो एक पुलिसकर्मी को हाई मास्क लाइट को बंद करने की जिम्मेदारी दी जाती है। गुरुवार रात भी ऐसा ही हुआ, लेकिन इस बार किसी ने इसका वीडियो बना लिया। पुलिसकर्मी को जब यह बात पता चली तो वह थाने में वापस लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
पुलिस अधीक्षक की भूमिका पर सवाल
हालांकि सवाई माधोपुर की पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता ने जिले में अवैध खनन पर पूर्ण रोक की बात कही है, लेकिन मित्रपुरा थाना क्षेत्र में यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। कई बार शिकायतों के बावजूद मित्रपुरा थानाधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे लोगों में यह सवाल उठने लगा है कि पुलिस अधीक्षक आखिर मित्रपुरा थानाधिकारी पर इतनी मेहरबान क्यों हैं?
लोगों में रोष
स्थानीय लोग और समाजसेवी इस अवैध गतिविधि के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता उनके गुस्से को और बढ़ा रही है। जनता का कहना है कि मित्रपुरा थाने के पुलिसकर्मी खाकी वर्दी का सम्मान खोते जा रहे हैं और अवैध बजरी के इस खेल में शामिल हैं।
अवैध बजरी परिवहन और पुलिस की संदिग्ध भूमिका को लेकर यह मुद्दा अब चर्चा में है, और लोग पुलिस प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।