Rajasthan की राजनीति में एक नई हलचल उस वक्त शुरू हुई जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसे राजे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ पर साझा किया। इसे शिष्टाचार मुलाकात कहा गया, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे सियासी संदेश मान रहे हैं।
क्या है मुलाकात के मायने?
1. राजे की सक्रियता की वापसी?
बीते कुछ सालों से वसुंधरा राजे राजस्थान बीजेपी के केंद्र से धीरे-धीरे दूर होती दिख रही थीं। बीजेपी ने नई पीढ़ी को बढ़ावा देने के नाम पर राजे की जगह नए चेहरों को प्राथमिकता दी। लेकिन हाल ही में जयपुर के ददिया में हुई सभा में पीएम मोदी ने राजे का नाम लेकर उनके योगदान की सराहना की। इसके बाद यह मुलाकात राजनीतिक समीकरण बदलने का संकेत हो सकती है।
2. उपराष्ट्रपति पद की संभावना
राजस्थान बीजेपी में भैरोंसिंह शेखावत के बाद वसुंधरा राजे को केंद्र की राजनीति में शिफ्ट करने की चर्चा तेज है। अगस्त 2027 में मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल समाप्त होगा, और राजे इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार मानी जा सकती हैं।
3. बेटे दुष्यंत के भविष्य का सवाल
राजे का राजनीतिक करियर ही नहीं, बल्कि उनके बेटे दुष्यंत सिंह का भविष्य भी इस मुलाकात से जुड़ा है। झालावाड़-बारां से सांसद दुष्यंत को केंद्र में मंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन राजे और बीजेपी हाईकमान के बीच दूरियों का असर उन पर भी पड़ा। अब अगर रिश्तों में सुधार होता है, तो दुष्यंत को केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका मिलने की संभावना बन सकती है।
राजे का सियासी सफर: एक नजर
बीजेपी में मजबूत पकड़:
राजे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और प्रदेश में बीजेपी का प्रमुख चेहरा रही हैं।
दूरी के बावजूद प्रभाव:
पार्टी में नई पीढ़ी को प्राथमिकता देने के बावजूद राजे का प्रभाव कम नहीं हुआ। उनका नाम और धरोहर अब भी राजस्थान बीजेपी की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है।
भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री के साथ वसुंधरा राजे की मुलाकात न केवल उनके राजनीतिक भविष्य के लिए बल्कि राजस्थान बीजेपी के भीतर सत्ता के समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।
राजे के समर्थकों के लिए यह मुलाकात उम्मीद जगाती है कि उनका चेहरा केवल प्रतीकात्मक नहीं रहेगा, बल्कि सक्रिय राजनीति में एक नई भूमिका के साथ उभर सकता है।