Rajasthan के बहुचर्चित जल जीवन मिशन घोटाले में आरोपी संजय बड़ाया को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किए गए बड़ाया को अदालत ने जमानत दी है।
क्या है मामला?
जल जीवन मिशन घोटाला राजस्थान में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान सामने आया था, जिसमें फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर 197 करोड़ रुपये के दो टेंडर दिए गए थे।
बड़ाया पर आरोप है कि वह तत्कालीन पीएचईडी मंत्री महेश जोशी के लिए बिचौलिए के रूप में काम कर रहे थे।
आरोप है कि उन्होंने रिश्वत के भुगतान और पीएचईडी कर्मचारियों को मैनेज करने में मदद की।
बड़ाया की गिरफ्तारी और हिरासत
जुलाई 2024: ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ाया को गिरफ्तार किया।
बड़ाया ने करीब 5 महीने हिरासत में बिताए।
उन्हें सह आरोपी बनाया गया, खासतौर पर रिश्वत के लेनदेन और टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ियों के लिए।
जमानत प्रक्रिया
नवंबर 2024: राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ाया की जमानत याचिका खारिज कर दी।
दिसंबर 2024: बड़ाया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए मंगलवार को बड़ाया को जमानत दे दी।
ईडी का आरोप
ईडी के अनुसार, जल जीवन मिशन घोटाले में:
फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर टेंडर मंजूर किए गए।
संजय बड़ाया ने रिश्वत का लेन-देन कराने और अधिकारियों को मैनेज करने में मदद की।
यह घोटाला मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामले के रूप में दर्ज किया गया है।
घोटाले की पृष्ठभूमि
जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है।
इस परियोजना में 197 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले की बात सामने आई थी।
ईडी ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा मानते हुए जांच की।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट से संजय बड़ाया को जमानत मिलने से घोटाले की जांच पर सवाल उठ सकते हैं। हालांकि, यह घोटाला और इसके आरोप राजस्थान की पूर्ववर्ती सरकार की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा चुके हैं।
अगले कदम में, ईडी और संबंधित एजेंसियां मामले की जड़ तक पहुंचने के लिए प्रयासरत रहेंगी।