Rajasthan में जल जीवन मिशन घोटाले के मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) और जीआई इंफ्रा को इस मामले में पार्टी बनाने का निर्देश दिया है। इस संबंध में हाईकोर्ट ने ईडी को चार सप्ताह के भीतर मामले से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
याचिका पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था के सदस्य डॉ. टी.एन. शर्मा की ओर से दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने ईडी को इस मामले में शामिल करने की अपील की थी। हाईकोर्ट ने इस अपील पर फैसला देते हुए न केवल ईडी को बल्कि घोटाले के आरोपों में शामिल जीआई इंफ्रा को भी पार्टी बनाने के निर्देश दिए। इससे पहले, इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में दो बार हो चुकी है, और दूसरी सुनवाई के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने भी इस मामले में कार्रवाई की थी। एसीबी ने इस घोटाले में पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी।
979 करोड़ का बड़ा घोटाला
इस घोटाले की कुल राशि लगभग 979 करोड़ रुपये आंकी गई है। जलदाय विभाग की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि इरकॉन कंपनी के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए थे, जिनके जरिए टेंडर हासिल किए गए। ईडी और सीबीआई पहले ही इस मामले में कई छापेमारी कर चुकी हैं और पुख्ता साक्ष्य जुटाए गए हैं।
भाजपा का रुख और सरकारी कार्रवाई पर सवाल
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने चुनावों के दौरान इस घोटाले को लेकर आक्रामक रुख अपनाया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। केवल जलदाय विभाग के एक्सईएन विशाल सक्सेना को इस मामले में निलंबित किया गया है, लेकिन कोई बड़ी जांच अब तक आगे नहीं बढ़ पाई है।
घोटाले में फर्जी दस्तावेजों और सब-स्टैंडर्ड काम का आरोप
याचिकाकर्ता का कहना है कि एफआईआर केवल फर्जी दस्तावेजों के जरिए दो फर्मों द्वारा टेंडर प्राप्त करने तक सीमित है, जबकि जांच में गुणवत्ता में कमी (सब-स्टैंडर्ड काम) के भी सबूत मिले हैं। हालांकि, इस पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से उम्मीद जताई जा रही है कि इस घोटाले की जांच में तेजी आएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकेगी।