राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में अब बड़े अधिकारियों की भूमिका उजागर होती जा रही है। एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने इस मामले में बड़ी मछलियों को घेरते हुए कोर्ट में चार्जशीट पेश की है। इस चार्जशीट में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय सहित अन्य कई बड़े नामों का उल्लेख किया गया है, जिनकी संलिप्तता इस मामले में संदिग्ध पाई गई है। जानिए पूरी रिपोर्ट।
SOG की जांच में बड़े नामों का पर्दाफाश
अब तक इस पेपर लीक मामले में केवल छोटे स्तर पर गिरफ्तारियां हो रही थीं, जिस पर एसओजी की कार्यवाही पर सवाल उठ रहे थे। परंतु अब एसओजी ने 29 अक्टूबर को पेश की गई चार्जशीट में 20 आरोपियों के खिलाफ कई बड़े खुलासे किए हैं। चार्जशीट में बताया गया है कि आरपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय, सदस्य मंजू शर्मा, संगीता आर्या, और जसवंत राठी जैसे उच्च पदों पर आसीन लोगों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। यह सभी लोग आरपीएससी सदस्य रामू राम राईका के बेटे और बेटी को फायदा पहुंचाने की कोशिशों में शामिल थे।
इंटरव्यू से पहले RPSC चेयरमैन से मुलाकात
एसओजी की चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि रामू राम राईका ने अपने बेटे देवेश और बेटी शोभा को थानेदार बनवाने के उद्देश्य से परीक्षा से एक महीने पहले ही पेपर हासिल कर लिया था। यही नहीं, इंटरव्यू से पहले राईका ने आरपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय से उनके आवास पर मुलाकात की थी। चार्जशीट के अनुसार, उस मुलाकात में संजय श्रोत्रिय ने कहा था, “देखते हैं।” इस घटना से साफ होता है कि आरपीएससी के उच्च पदाधिकारी इस मामले में संलिप्त थे।
बाबूलाल कटारा ने राईका को दिया था पेपर
एसओजी की चार्जशीट के मुताबिक, रामू राम राईका को परीक्षा का पेपर बाबूलाल कटारा ने उपलब्ध कराया था। बाबूलाल कटारा को मार्च 2021 में आरपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन भूपेंद्र सिंह ने एसआई भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। परीक्षा एक दिन में आयोजित की जानी थी, इसलिए कटारा ने फर्स्ट और सेकंड पेपर के दो-दो सेट तैयार कर लिए थे। भूपेंद्र सिंह ने अक्टूबर 2020 से दिसंबर 2021 तक आरपीएससी के चेयरमैन का पद संभाला था।
बड़े नामों की संलिप्तता से एसओजी पर बढ़ा दबाव
पेपर लीक मामले में आरपीएससी के शीर्ष अधिकारियों के नाम सामने आने के बाद एसओजी पर इस मामले में निष्पक्ष और गहन जांच का दबाव बढ़ गया है। राजस्थान में शिक्षा और सरकारी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को लेकर पहले से ही जनता में आक्रोश है, और ऐसे में इस पेपर लीक कांड ने इस आक्रोश को और बढ़ा दिया है।
एसओजी की चार्जशीट में शामिल नामों से साफ संकेत मिलते हैं कि पेपर लीक कांड सिर्फ कुछ छोटे अधिकारियों की साजिश नहीं थी, बल्कि इसमें ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों का भी योगदान था। अब देखना होगा कि आगे इस मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या न्याय की उम्मीद पूरी होगी।