प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को जयपुर में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) का शुभारंभ करेंगे। यह परियोजना राजस्थान को जल-अधिशेष राज्य बनाने के लिए 11 नदियों को जोड़ने की एक महत्वाकांक्षी योजना है।
प्रमुख बिंदु:
- परियोजना का उद्देश्य:
- पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना।
- पूर्वी राजस्थान के जल संकट से जूझ रहे जिलों को राहत देना।
- राजस्थान और मध्यप्रदेश के 20 से अधिक जिलों में जल संसाधनों का उपयोग।
- शामिल नदियां:
- चंबल और उसकी सहायक नदियां: पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी, और मेज।
- एमओयू और नाम परिवर्तन:
- जनवरी 2024 में परियोजना का नाम बदलकर पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी) रखा गया।
- मौजूदा सरकार ने मध्यप्रदेश और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के साथ एमओयू साइन किया था।
परियोजना के लाभ:
- राजस्थान में लाभान्वित जिले:
- झालावाड़, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, दौसा, करौली, भरतपुर, अलवर, गंगापुर समेत 21 जिलों में पानी की आपूर्ति।
- मध्यप्रदेश में लाभान्वित जिले:
- गुना, शिवपुरी, श्योपुर, उज्जैन, मंदसौर, ग्वालियर, रतलाम, मुरैना आदि जिलों में सिंचाई और पेयजल के लिए पानी उपलब्ध होगा।
- पहला बांध:
- कालीसिंध नदी पर नोनेरा एबरा बांध पहले से ही तैयार।
- सितंबर में गेटों की टेस्टिंग के बाद इसे चालू किया गया।
तकनीकी संरचना:
- परियोजना के तहत हाड़ौती क्षेत्र की नदियों से सरप्लस पानी को 170 किमी दूर ले जाया जाएगा।
- इसमें पंपिंग, ग्रेविटी चैनल, सुरंग, पुलिया और कैनाल का निर्माण किया जाएगा।
निष्कर्ष:
ईआरसीपी राजस्थान के पेयजल और सिंचाई संकट को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह परियोजना जल संसाधन प्रबंधन में एक मिसाल पेश करते हुए राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों में सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में योगदान देगी।