Rajasthan कर्मचारी चयन बोर्ड ने परीक्षाओं में पारदर्शिता और नकल को रोकने के लिए ड्रेस कोड में बड़ा बदलाव किया है। अब पुरुष अभ्यर्थियों को कुर्ता-पजामा पहनने की अनुमति दी गई है। वहीं, मेटल चेन और जिप वाले जींस-पैंट और जैकेट पहनने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।
ड्रेस कोड में बदलाव का कारण
हाल ही में हुई जूनियर इंस्ट्रक्टर भर्ती परीक्षा में डमी कैंडिडेट को रोकने और नकल की संभावनाओं को समाप्त करने के लिए डीटेल्ड फ्रिस्किंग, बायोमेट्रिक जांच, और सीसीटीवी कवरेज की शुरुआत की गई थी।
जांच के दौरान मेटल डिटेक्टर में मेटल चेन और जिप वाले कपड़ों के कारण बाधाएं आईं।
गहन जांच में समय अधिक लगा और उम्मीदवारों को असुविधा हुई।
इसे ध्यान में रखते हुए ड्रेस कोड को सरल और प्रभावी बनाने का निर्णय लिया गया।
नए ड्रेस कोड के मुख्य बिंदु
पुरुष अभ्यर्थी:
कुर्ता-पजामा या सामान्य पैंट-शर्ट।
मेटल बटन, चेन और ब्रोच पूरी तरह वर्जित।
घड़ी, बेल्ट, जूते, मोजे आदि पर रोक।
महिला अभ्यर्थी:
सलवार सूट, साड़ी, या कुर्ता।
बालों में साधारण रबर बैंड और पतली कांच/लाख की चूड़ियां।
भारी आभूषण और अन्य मेटल आइटम वर्जित।
अन्य नियम:
परीक्षा केंद्र में घड़ी, धूप का चश्मा, स्कार्फ, शॉल, हैंडबैग, और कैप की अनुमति नहीं।
हवाई चप्पल और सैंडल पहनने की अनुमति।
अभ्यर्थियों की प्रतिक्रिया
बोर्ड के इस कदम को लेकर अभ्यर्थियों और छात्र संगठनों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है।
कई उम्मीदवारों ने इस बदलाव को तुगलकी फरमान बताते हुए कहा कि इससे अभ्यर्थियों पर आर्थिक और मानसिक दबाव बढ़ेगा।
कुछ ने इसे परीक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम बताया।
पहले लागू ड्रेस कोड
ड्रेस कोड में पहले से ही सख्ती थी, जिसमें बड़े बटन, धातु के जेवर, और भारी आभूषणों पर रोक लगाई गई थी। लेकिन अब मेटल चेन और जिप वाले कपड़ों पर प्रतिबंध से इसे और कड़ा कर दिया गया है।
बोर्ड का उद्देश्य
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने कहा:
“ड्रेस कोड में बदलाव का उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है। यह सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है कि कोई भी उम्मीदवार अनियमितता का सहारा न ले सके।”
निष्कर्ष
ड्रेस कोड में बदलाव को लेकर परीक्षा में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का उद्देश्य है, लेकिन यह अभ्यर्थियों के लिए नई चुनौतियां भी पैदा कर रहा है। सरकार को इस फैसले को लेकर व्यापक चर्चा और अभ्यर्थियों की समस्याओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।