राजस्थान में भजनलाल सरकार लगातार प्रशासनिक मोर्चे पर आलोचना का सामना कर रही है। मंत्री पुत्रों से जुड़े विवाद हों या अफसरों के लगातार तबादले, सरकार हर दिशा से सवालों के घेरे में है। राज्य में हालात इतने खराब हैं कि बार-बार अफसरों के तबादले किए जाने के बावजूद 69 बड़े विभाग और संस्थान अब भी एडिशनल चार्ज के सहारे चल रहे हैं। इसका सीधा असर शासन-प्रशासन पर पड़ रहा है, क्योंकि फुल-टाइम अफसरों की अनुपस्थिति में विभागीय कामकाज ठप होने के कगार पर है।
तबादलों का खेल: नौकरशाही बनी फुटबॉल
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार के इस अस्थिर तबादला प्रक्रिया पर गंभीर कटाक्ष किया है। डोटासरा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “360 डिग्री परीक्षण का दावा करने वाली भाजपा सरकार ने अधिकारियों को तबादले के नाम पर फुटबॉल बना दिया है।” पिछले दस महीनों में 4 आरएएस अधिकारियों के 5 बार तबादले हुए हैं, जबकि 15 अधिकारियों का चार बार तबादला हुआ। इतना ही नहीं, 50 आरएएस अधिकारियों के भी तीन बार तबादले हुए हैं।
IAS अफसरों की स्थिति और खराब
आईएएस अधिकारियों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। तबादलों की दो सूचियों में 22 अफसरों को एक ही महीने में बार-बार बदला गया। इसके बावजूद हालात यह हैं कि 46 आईएएस अधिकारियों के पास 69 विभागों का अतिरिक्त चार्ज है। इसका परिणाम यह हुआ है कि कई विभागों में कोई स्थाई नेतृत्व नहीं है, और अधिकारी एक ही समय में तीन-तीन पदों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मुख्य सचिव खुद भी अतिरिक्त चार्ज संभाल रहे हैं।
प्रमुख आईएएस अधिकारियों के पास अतिरिक्त चार्ज
- शुभ्रा सिंह: राज्य परिवहन निगम की चेयरमैन के साथ स्टेट बस टर्मिनल विकास प्राधिकरण का भी अतिरिक्त चार्ज।
- सीएस सुधांश पंत: राजस्थान राज्य खनिज निगम लिमिटेड (RSMML) चेयरमैन और अन्य कई अहम पदों का अतिरिक्त चार्ज।
- अभय कुमार: जल संसाधन विभाग, कृषि कमांड एरिया डेवलपमेंट और इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अतिरिक्त चार्ज।
- आलोक: ऊर्जा विभाग के साथ ही दिल्ली के प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिश्नर और विद्युत प्रसारण निगम के चेयरमैन का अतिरिक्त चार्ज।
- श्रेया गुहा: ग्रामीण विकास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजी HCM रीपा का अतिरिक्त कार्यभार।
- आनंद कुमार: गृह, जेल और होमगार्ड के अतिरिक्त अन्य विभागों के एसीएस पद का जिम्मा।
- अजिताभ शर्मा: रीको और राजसीको चेयरमैन का अतिरिक्त चार्ज।
- वैभव गालरिया: हाउसिंग बोर्ड और जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का भी अतिरिक्त चार्ज।
विभागों में कार्यप्रणाली ठप
सरकार की इस ‘एडिशनल चार्ज’ व्यवस्था का असर यह हो रहा है कि इन विभागों में न तो अधिकारी दिलचस्पी ले रहे हैं और न ही नीचे की मशीनरी सही तरीके से काम कर पा रही है। अतिरिक्त चार्ज का बोझ अधिकारी सही से संभाल नहीं पा रहे हैं, जिससे विभागीय कामकाज अधूरा और लचर हो रहा है। स्थाई अफसरों की अनुपस्थिति में निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो गई है, जो प्रशासनिक कार्यों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
निष्कर्ष
राजस्थान में भजनलाल सरकार के अफसरों के बार-बार तबादले और विभागों में फुल-टाइम अफसरों की अनुपस्थिति ने सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे न केवल शासन की गति धीमी हो रही है, बल्कि नौकरशाही का मनोबल भी प्रभावित हो रहा है। यदि जल्द ही इस स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो यह प्रशासनिक संकट और गहरा सकता है।