प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 17 दिसंबर को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की आधारशिला रखने के लिए राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। यह परियोजना राज्य के विकास और जल संकट समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। लेकिन इससे पहले, कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस परियोजना से जुड़े समझौता ज्ञापन (एमओयू) को सार्वजनिक करने की मांग की है।
गहलोत ने एमओयू पर उठाए सवाल
अशोक गहलोत ने शनिवार को केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल संशोधित ईआरसीपी परियोजना को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच हाल ही में हुए समझौते को गुप्त रखा जा रहा है। उन्होंने कहा, “जनता को जानने का अधिकार है कि यह परियोजना उनके लिए कितनी लाभकारी होगी। सरकार को एमओयू की शर्तें सार्वजनिक करनी चाहिए।”
गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि परियोजना को लेकर पारदर्शिता की कमी है और इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने इसे एक राजनीतिक प्रचार का हिस्सा बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस परियोजना के तकनीकी और आर्थिक पहलुओं पर भी स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए।
परियोजना की अहमियत
ईआरसीपी परियोजना का उद्देश्य राजस्थान के 13 जिलों में जल संकट को दूर करना और कृषि और पेयजल की जरूरतों को पूरा करना है। इस परियोजना से 2 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और लाखों ग्रामीणों को पीने का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने गहलोत के आरोपों को खारिज करते हुए इसे “अनावश्यक राजनीति” करार दिया। पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजस्थान को एक बड़ी जल परियोजना मिल रही है, और कांग्रेस इसे लेकर राजनीति कर रही है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की आगामी यात्रा और ईआरसीपी परियोजना की आधारशिला राजस्थान के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर चल रही सियासी खींचतान ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। अब देखना यह है कि सरकार गहलोत की मांग पर एमओयू को सार्वजनिक करती है या नहीं।