Nepal Earthquake- नेपाल और तिब्बत-नेपाल सीमा क्षेत्र में मंगलवार सुबह आए भूकंप ने तबाही मचाई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, इस भूकंप की तीव्रता 7.1 रिक्टर स्केल थी और इसका केंद्र तिब्बत के जिजांग क्षेत्र में 10 किमी की गहराई पर स्थित था। भूकंप के झटके भारत के बिहार, सिक्किम और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में महसूस किए गए।
भूकंप का असर और भारत में झटके
सबसे अधिक प्रभावित: बिहार में झटके सबसे ज्यादा महसूस किए गए। डर के मारे लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।
अन्य प्रभावित क्षेत्र: सिक्किम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी भूकंप का असर देखा गया।
नेपाल: नेपाल में भूकंप से कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए।
भूकंप का क्रम
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार:
सुबह 6:30 बजे: 7.1 तीव्रता का भूकंप।
इसके बाद 7:02 बजे: 4.7 तीव्रता।
7:07 बजे: 4.9 तीव्रता।
7:13 बजे: 5.0 तीव्रता।
लगातार झटकों के कारण लोग घरों को छोड़कर खुले स्थानों पर चले गए।
नेपाल में भूकंप की पृष्ठभूमि
नेपाल में बार-बार भूकंप आने का मुख्य कारण हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट्स की अस्थिरता है।
2015 में विनाशकारी भूकंप:7.8 तीव्रता का भूकंप।
लगभग 9,000 लोगों की मौत और 22,000 घायल।
800,000 से अधिक घर और स्कूल क्षतिग्रस्त।
भूकंप क्यों आता है?
पृथ्वी की सतह के नीचे 7 टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं।
जब ये प्लेट्स टकराती हैं, तो फॉल्ट लाइन बनती है।
बार-बार टकराव से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं और अत्यधिक दबाव बनने पर प्लेट्स टूट जाती हैं।
इस प्रक्रिया से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप आता है।
भूकंप के केंद्र और तीव्रता का मतलब
भूकंप का केंद्र (एपिसेंटर):
वह स्थान जहां प्लेट्स की हलचल से ऊर्जा निकलती है।
तीव्रता का असर:यदि भूकंप की तीव्रता 7 या अधिक हो, तो यह 40 किमी के दायरे में गंभीर झटके पैदा कर सकता है।
प्रभाव इस पर भी निर्भर करता है कि ऊर्जा का उत्सर्जन ऊपर की ओर है या चारों ओर फैला हुआ।
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है।
इसे 1 से 9 तक की तीव्रता में विभाजित किया गया है।
धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा की माप ही भूकंप की भयावहता को दर्शाती है।
नेपाल में बार-बार भूकंप का कारण
आईआईटी कानपुर के जियोसाइंस विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन. मलिक के अनुसार:
नेपाल हिमालयन फॉल्ट जोन पर स्थित है।
यह क्षेत्र दो प्लेट्स – भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव का क्षेत्र है।
प्लेट्स की अस्थिरता के कारण यहां बार-बार भूकंप आते हैं।
भूकंप से बचाव के उपाय
खुली जगह पर रहें: भूकंप के समय घर, ऑफिस, और अन्य इमारतों से बाहर निकलकर खुले स्थान पर जाएं।
मजबूत स्थान: घर के भीतर हों, तो मजबूत फर्नीचर के नीचे छिपें।
बिजली और गैस बंद करें: भूकंप के झटकों के दौरान शॉर्ट सर्किट या आग लगने से बचने के लिए बिजली और गैस लाइन बंद करें।
आपातकालीन किट तैयार रखें: पानी, भोजन, टॉर्च, और दवाइयों की आपातकालीन किट हमेशा तैयार रखें।
निष्कर्ष
नेपाल और तिब्बत-नेपाल सीमा क्षेत्र में आए इस भूकंप ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता को उजागर किया है। भारत के प्रभावित राज्यों में फिलहाल नुकसान की कोई खबर नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है। प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए तैयार रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।