Kekri राजस्थान सरकार की ओर से आयोजित ‘राजस्थान दर्शन शैक्षिक एवं सांस्कृतिक यात्रा’ के तहत जिले के 24 होनहार छात्रों का दल राजस्थान की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों का पांच दिवसीय भ्रमण करके गुरुवार को लौट आया। इस यात्रा का उद्देश्य छात्रों के ज्ञान और व्यवहारिक अनुभव को बढ़ावा देना था, जिसमें कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया।
मुख्य स्थलों का भ्रमण और अनुभव
यात्रा के सह प्रभारी दिनेश कुमार वैष्णव ने बताया कि भ्रमण के दौरान छात्रों ने चित्तौड़गढ़ के कुम्भ श्याम मंदिर, मीरा बाई मंदिर, विजय स्तम्भ, पद्मिनी महल, कालिका माता मंदिर, और गौमुख कुण्ड सहित कई प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों का अवलोकन किया। इसके अलावा, मण्डफिया के सांवलिया सेठ मंदिर और उदयपुर के प्रसिद्ध गुलाब बाग, जगदीश मंदिर, सिटी पैलेस, पिछोला झील, और फतेहसागर झील का भी भ्रमण किया। सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों को खुले में देखना छात्रों के लिए एक अनूठा अनुभव रहा।
यात्रा के अंत में, छात्रों ने नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा ‘विश्वास स्वरूपम’ और श्रीनाथ मंदिर के दर्शन किए। इस दौरान प्रभारी भगवान सिंह गौड़ और टीम ने प्रत्येक स्थल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व समझाते हुए छात्रों को शिक्षा और संस्कृति के प्रति प्रेरित किया।
प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन
भ्रमण के दौरान क्विज, सांस्कृतिक प्रतियोगिता और भ्रमण आलेख जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सांकरिया के किशनलाल जांगिड़ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, वहीं राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लोहाखान की वर्षा रावत को दूसरा स्थान और महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय फतेहपुरिया के हर्ष वर्मा को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। सभी विजेताओं को यात्रा के दौरान सम्मानित किया गया।
शैक्षिक भ्रमण का उद्देश्य और लाभ
यात्रा के प्रभारी भगवान सिंह गौड़ ने बताया कि इस तरह के शैक्षिक भ्रमण से छात्रों में न केवल ज्ञान की वृद्धि होती है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, भाईचारे और समूह में कार्य करने की भावना भी विकसित होती है। यह अनुभव उन्हें इतिहास, संस्कृति, प्रकृति और शिष्टाचार का व्यापक ज्ञान प्रदान करता है, जो उनकी शिक्षा को व्यक्तिगत अनुभवों के साथ जोड़कर और प्रभावी बनाता है।
समाप्ति
यह शैक्षिक यात्रा छात्रों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रही, जिसने उन्हें अपनी सांस्कृतिक धरोहरों से जोड़ा और उनके व्यक्तित्व विकास में सहायक सिद्ध हुई।