Rajasthan में गहलोत सरकार के कार्यकाल में खोले गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर चर्चा जोरों पर है। इस बीच, कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने स्पष्ट किया है कि इन स्कूलों को बंद करने की खबरें गलत हैं। उन्होंने कहा कि इन स्कूलों की समीक्षा के लिए एक कमेटी गठित की गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सभी स्कूल बंद कर दिए जाएंगे।
समीक्षा का उद्देश्य
जोगाराम पटेल ने कहा कि समीक्षा का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल सही मायनों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि:
इन स्कूलों का उद्देश्य गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा देना है।
शिकायतें मिली थीं कि कई स्कूलों में केवल नाम मात्र के लिए अंग्रेजी माध्यम का बोर्ड लगाया गया है।
योग्य अंग्रेजी शिक्षक और सही पाठ्यक्रम के अभाव में ये स्कूल अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
पटेल ने बताया कि कुछ स्कूलों में एक भी अंग्रेजी शिक्षक नहीं है, और ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जहां जरूरत है, वहां इन स्कूलों को जारी रखा जाए और शिक्षा का स्तर सुधारा जाए।
कांग्रेस-भाजपा में जुबानी जंग
कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि भाजपा गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा से वंचित करना चाहती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि 75% गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे इन सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा नेताओं के बच्चे महंगे निजी स्कूलों और विदेशों में पढ़ाई करते हैं।
कांग्रेस का दावा है कि भाजपा सरकार गरीब बच्चों को आगे बढ़ने से रोकने की साजिश रच रही है।
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को राजनीतिक स्टंट बताया।
मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि यह समीक्षा छात्रों को सही मायनों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देने के लिए की जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि जहां नए छात्रों का नामांकन नहीं हो रहा है और स्थानीय लोग हिंदी माध्यम स्कूलों की मांग कर रहे हैं, वहां निर्णय समीक्षा के आधार पर होगा।
मुख्य बिंदु
अंग्रेजी माध्यम स्कूल बंद करने की खबरें भ्रामक हैं।
सरकार का फोकस शिक्षा की गुणवत्ता पर है, न कि स्कूल बंद करने पर।
कांग्रेस और भाजपा इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं।
जरूरत के अनुसार अंग्रेजी माध्यम स्कूल जारी रहेंगे, लेकिन जहां मांग नहीं है, वहां समीक्षा के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
निष्कर्ष
मंत्री जोगाराम पटेल ने साफ किया है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा का उद्देश्य उनकी प्रभावशीलता को परखना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। यह कदम किसी वर्ग या क्षेत्र के खिलाफ नहीं है। सरकार की मंशा है कि जरूरतमंद बच्चों को सही और प्रभावी अंग्रेजी शिक्षा मिल सके।