Jhunjhunu Bypoll- झुंझुनूं उपचुनाव को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने प्रेस वार्ता की, लेकिन प्रेस के सीधे सवालों का सीधा जवाब देने से बचते नजर आए। उनकी गोलमोल बातें और सवालों के टालमटोल ने जनता और मीडिया में असंतोष का माहौल पैदा कर दिया है। इस प्रेस वार्ता में उनके साथ पूर्व सांसद संतोष अहलावत, जिला अध्यक्ष बनवारीलाल सैनी, सीकर जिला अध्यक्ष कमल सिखवाल, और भाजपा जिला प्रवक्ता कमलकांत शर्मा सहित कई नेता उपस्थित थे।
सवालों पर क्यों दिया गोलमोल जवाब?
प्रेस वार्ता के दौरान जब सीपी जोशी से पूछा गया कि झुंझुनूं में कांग्रेस सरकार के दौरान जिन अधिकारियों और कर्मचारियों पर पक्षपात के आरोप थे, वे अब भी बीजेपी नेताओं के संरक्षण में कार्यरत हैं, तो उन्होंने सीधा जवाब देने के बजाय अपनी पार्टी की उपलब्धियां गिनानी शुरू कर दीं। सड़कों की हालत, खेल यूनिवर्सिटी की लोकेशन, यमुना नहर के एमओयू का मामला, और झुंझुनूं से आरएमएस कार्यालय का सीकर स्थानांतरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी जोशी ने अस्पष्ट और गोलमोल जवाब ही दिए।
कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा और राजेंद्र सिंह गुढ़ा पर भी साधी चुप्पी
सीपी जोशी से पहले झुंझुनूं में प्रेस वार्ता के दौरान कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा से भी सीधे सवाल पूछे गए थे, जिनका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। वहीं, राजेंद्र सिंह गुढ़ा पर उठे सवालों पर भी जोशी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मीडिया में चल रही चर्चाओं के अनुसार, राजेंद्र सिंह को बीजेपी की ‘बी टीम’ कहा जा रहा है, लेकिन जोशी ने इस सवाल का भी कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
शहीद अग्निवीर के परिवार को सहायता पर भी अस्पष्टता
प्रेस वार्ता में शहीद अग्निवीर के परिवार को मिलने वाली सहायता को लेकर भी सवाल उठे। झुंझुनूं में अग्निवीर की शहादत को लेकर सवाल किया गया कि उसे शहीद का दर्जा दिया जाएगा या नहीं, और परिवार को कब तक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। लेकिन इस सवाल पर जोशी ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है।
प्रेस वार्ता का प्रभाव: जनता में बढ़ता असंतोष
इस प्रेस वार्ता के बाद सीपी जोशी की ओर से मिले गोलमोल जवाबों के कारण जनता में असंतोष का माहौल बढ़ता जा रहा है। खासकर झुंझुनूं जैसे संवेदनशील क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर, बीजेपी नेताओं के इस तरह से सवालों से बचने से आम जनता के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
बीजेपी के लिए ये उपचुनाव महत्वपूर्ण हैं, और ऐसे समय में सवालों से बचने का रवैया जनता के लिए सही संदेश नहीं भेजता। जनता अब यह देख रही है कि क्या पार्टी अपने नेताओं से स्पष्टता और पारदर्शिता की उम्मीद कर सकती है, खासकर ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जिनसे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है।