Rajasthan की राजनीति में एक बार फिर एकल पट्टा भ्रष्टाचार मामला सुर्खियों में आ गया है। प्रदेश की भजनलाल सरकार ने इस विवादास्पद मामले में बड़ा कदम उठाते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। सरकार ने याचिका में ट्रायल कोर्ट द्वारा स्वीकार की गई क्लोजर रिपोर्ट को दोषपूर्ण बताया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
यह मामला कांग्रेस शासनकाल में चर्चित रहा था, जिसमें पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को क्लोजर रिपोर्ट के आधार पर आरोपों से बरी कर दिया गया था। अब सरकार की नई याचिका के चलते शांति धारीवाल को इस मामले में फिर से जांच का सामना करना पड़ सकता है।
सरकार की दलीलें और कोर्ट में स्थिति
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा और विशेष लोक अभियोजक (SPP) अनुराग शर्मा ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि क्लोजर रिपोर्ट अधूरी और दोषपूर्ण साक्ष्य के आधार पर तैयार की गई थी, जिसके चलते न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हुई।
सरकार ने इस मामले में कानूनी सहायता के लिए भारत के सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस.वी. राजू और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा को नियुक्त किया है। इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई 10 फरवरी को राजस्थान हाईकोर्ट में होने की संभावना है।
क्या है एकल पट्टा मामला?
यह मामला साल 2011 का है जब तत्कालीन गहलोत सरकार के कार्यकाल में जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेन्द्र गर्ग के नाम पर एकल पट्टा जारी किया था। आरोप है कि इस पट्टे के जारी करने में भारी अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ था।
मामले की शुरुआत तब हुई जब परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में शिकायत दर्ज कराई। जांच के दौरान पता चला कि पट्टा जारी करने से पहले पुराने रिजेक्शन की जानकारी जुटाए बिना ही नया पट्टा जारी कर दिया गया था। इस मामले में तत्कालीन गहलोत सरकार ने पट्टा रद्द कर दिया था और UDH विभाग के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जीएस संधू समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
शांति धारीवाल की भूमिका और कानूनी प्रक्रिया
इस मामले में शांति धारीवाल से भी पूछताछ की गई थी। बाद में परिवादी ने धारीवाल को भी आरोपी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया। इसके खिलाफ धारीवाल ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जहां उन्हें राहत मिली थी। कोर्ट ने उनके खिलाफ प्रोटेस्ट पिटीशन और अन्य आपराधिक कार्रवाइयों को रद्द करने के आदेश दिए थे।
लेकिन अब भजनलाल सरकार द्वारा दायर की गई याचिका के चलते यह मामला फिर से जांच के दायरे में आ गया है। यदि हाईकोर्ट सरकार की याचिका स्वीकार करता है, तो मामले की दोबारा जांच शुरू हो सकती है, जिससे राजस्थान की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार के इस कदम से साफ है कि एकल पट्टा मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। इस प्रकरण में न्यायिक समीक्षा और निष्पक्ष जांच की मांग के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया है। अब सभी की निगाहें 10 फरवरी को होने वाली सुनवाई पर टिकी होंगी, जो इस मामले की आगामी दिशा तय करेगी।