Borewell Accident राजस्थान के कोटपूतली में तीन साल की मासूम चेतना 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी हुई है। उसे बचाने के लिए प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम लगातार प्रयास कर रही है। 65 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी पूरा नहीं हो सका है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की स्थिति
चेतना को बचाने के लिए 170 फीट गहराई तक खुदाई की जा रही है। अब तक 160 फीट तक खुदाई पूरी हो चुकी है, लेकिन पत्थर आने की वजह से आगे का काम मैनुअल तरीके से करना पड़ रहा है। इसके लिए विशेषज्ञ रेटमाइनर्स की टीम को बुलाया गया है। टीम पत्थर को हाथों से काटकर सुरंग खोदने का काम करेगी।
एनडीआरएफ के इंचार्ज योगेश मीणा के अनुसार, 155 फीट तक खुदाई मशीनों से की गई थी, लेकिन पत्थर आने के कारण पाइलिंग मशीन की बीट बदलनी पड़ी। इसके बाद 160 फीट तक खुदाई पूरी हुई। अब 170 फीट तक खुदाई करने के बाद ही चेतना तक पहुंचा जा सकेगा।
कैमरे पर मूवमेंट बंद
चेतना की स्थिति को देखने के लिए बोरवेल में कैमरे लगाए गए हैं। हालांकि, बुधवार सुबह से कैमरे पर चेतना की कोई मूवमेंट नहीं दिख रही है। चेतना पिछले 45 घंटे से बोरवेल में एक देसी हुक पर फंसी हुई है। यह स्थिति परिवार और ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
प्रशासनिक देरी और स्थानीय नाराजगी
इस घटना के बाद प्रशासन की सुस्ती पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। घटना के तीन दिन बाद कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंचीं। कलेक्टर के देर से पहुंचने और मौके पर प्रशासनिक सहायता में कमी को लेकर स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है।
कैसे हुआ हादसा?
सोमवार दोपहर किरतपुर के बड़ियाली की ढाणी में खेलते हुए तीन साल की चेतना 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी। परिवार और स्थानीय लोगों ने उसे निकालने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन सभी असफल रहे। इसके बाद रेस्क्यू टीमों को बुलाया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियां
पत्थर की रुकावट: 160 फीट के बाद पत्थर आने से खुदाई में देरी हो रही है।
गहराई और जोखिम: बोरवेल की गहराई 700 फीट है, लेकिन चेतना 155-160 फीट की गहराई पर फंसी हुई है।
समय की कमी: 65 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद चेतना की स्थिति गंभीर होती जा रही है।
परिवार और ग्रामीणों की उम्मीदें
परिवार और गांव के लोग लगातार रेस्क्यू टीम के प्रयासों को देख रहे हैं। हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से उनकी नाराजगी भी जाहिर हो रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि प्रशासन और अधिकारियों को घटनास्थल पर पहले ही पहुंच जाना चाहिए था।
क्या करना चाहिए?
सुरक्षित बोरवेल की योजना: बोरवेल खुदाई के बाद इसे ढकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
आपातकालीन टीम: ऐसी घटनाओं के लिए हर जिले में विशेषज्ञ आपातकालीन टीम बनाई जानी चाहिए।
जन जागरूकता: ग्रामीण इलाकों में बोरवेल की सुरक्षा के प्रति जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासन और ग्रामीण सुरक्षा के मुद्दों को उजागर किया है। अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि रेस्क्यू ऑपरेशन कब और कैसे सफल होता है।