Rajasthan – स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम, जो पिछले सात वर्षों से बलात्कार के मामले में सजा काट रहा है, को राजस्थान उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट से 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी गई है। यह जमानत स्वास्थ्य कारणों को ध्यान में रखते हुए प्रदान की गई है, ताकि वह अपनी पसंद के स्थान पर इलाज करवा सके।
जोधपुर आश्रम में वापसी
मंगलवार देर रात आसाराम अपने अनुयायियों की भारी भीड़ के बीच जोधपुर के पाल गांव स्थित आश्रम पहुंचा।
इससे पहले वह आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज करवा रहा था, जहां पैरोल पर भर्ती था।
अस्पताल से निकलने और आश्रम पहुंचने पर, उसके समर्थकों ने जयकारों और मालाओं के साथ उसका स्वागत किया।
जमानत की शर्तें और आधार
अदालत ने स्पष्ट किया है कि जमानत विशेष परिस्थितियों में दी गई है और उसे इस दौरान जमानत की शर्तों का पालन करना होगा।
आसाराम के वकील निशांत बोरा ने कहा कि यह राहत केवल बीमारियों के उपचार के लिए दी गई है।
मामला और सजा का संदर्भ
2013 में नाबालिग से बलात्कार के मामले में, आसाराम को अप्रैल 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
जोधपुर की अदालत ने इस मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में रखा था।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले सप्ताह आसाराम को 31 मार्च तक अंतरिम राहत प्रदान की।
कोर्ट ने कहा कि आसाराम विभिन्न गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है और उसे विशेष चिकित्सा की आवश्यकता है।
आगे की सुनवाई
31 मार्च को इस जमानत की अवधि पर पुनर्विचार किया जाएगा।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस अंतरिम राहत को आगे बढ़ाने या समाप्त करने का निर्णय लेती है।
समर्थकों की प्रतिक्रिया
आसाराम के आश्रम और अस्पताल के बाहर जुटी भारी भीड़ यह दर्शाती है कि उनके अनुयायियों का विश्वास अभी भी बना हुआ है। हालांकि, यह जमानत केवल स्वास्थ्य आधार पर दी गई है और इसका उनके मामले की सजा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
निष्कर्ष
आसाराम को मिली यह स्वास्थ्य-आधारित अंतरिम राहत न्यायपालिका की मानवीय दृष्टिकोण का परिचायक है। लेकिन बलात्कार जैसे गंभीर मामले में उनकी सजा बरकरार है, जो न्याय के प्रति समाज के विश्वास को मजबूत करती है।