Ajmer Dargah से जुड़ा विवाद शुक्रवार को सिविल कोर्ट में सुनवाई के लिए प्रस्तुत होगा। इस मामले में तीन पक्षकार – अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) – अपना पक्ष अदालत के सामने रखेंगे। कोर्ट ने इन तीनों को नोटिस जारी किया था। विवाद की शुरुआत हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दरगाह स्थल पर संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने से हुई थी।
हिंदू पक्ष के दावे:
हिंदू सेना के वकीलों ने 1911 में पूर्व जज और लेखक हरबिलास सारदा की पुस्तक “अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव” का हवाला देते हुए दावा किया कि दरगाह का निर्माण एक प्राचीन शिव मंदिर के अवशेषों पर किया गया।
पहला दावा: मंदिर का उपयोग दरगाह निर्माण में किया गया, और इसके प्रमाण दरगाह के गुंबद और तहखाने में मौजूद हैं।
दूसरा दावा: मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान लगातार होते रहे थे, जब तक इसे तोड़ा नहीं गया।
तीसरा दावा: तहखाने में एक पवित्र गर्भगृह के मौजूद होने की संभावना है।
विष्णु गुप्ता को धमकियां:
विष्णु गुप्ता को इस मामले को लेकर जान से मारने की धमकियां मिली हैं। उन्हें दो अलग-अलग नंबरों से फोन पर धमकाया गया – एक कॉल कनाडा और दूसरा भारत से आया। धमकी में कहा गया कि उनका सिर कलम कर दिया जाएगा। इस पर गुप्ता ने नई दिल्ली के बाराखंबा थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
मामले पर प्रतिक्रियाएं:
महबूबा मुफ्ती: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुस्लिम दरगाहों को निशाना बनाया जाना खतरनाक है और इससे खून-खराबा हो सकता है।
अशोक गहलोत: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह 800 साल पुरानी दरगाह है, जहां सभी धर्मों के लोग आते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ वह दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं, दूसरी तरफ उनकी पार्टी के लोग भ्रम फैलाते हैं।
मदन दिलावर: राजस्थान के मंत्री ने कहा कि औरंगजेब और बाबर ने कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवाई हैं। जांच के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी।
दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल अली आबेदीन: उन्होंने कहा कि दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना है। पहले यहां कच्चा मैदान था और 150 साल तक कोई पक्का निर्माण नहीं हुआ। ऐसे में वहां मंदिर होने का दावा गलत है।
सचिन पायलट: कांग्रेस नेता ने कहा कि कुछ ताकतें समाज में तनाव पैदा करना चाहती हैं। युवाओं की बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे विवाद खड़े किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष:
अजमेर दरगाह विवाद धार्मिक और ऐतिहासिक मुद्दों को लेकर बहस का केंद्र बन गया है। सच्चाई अदालत की सुनवाई के बाद सामने आएगी, लेकिन इस विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर गंभीर चर्चा छेड़ दी है।