मेरठ में तैनात कांस्टेबल रिंकू सिंह गुर्जर और हेड कांस्टेबल अमित खटाना, एक वकील के साथ मिलकर राजस्थान में संगठित गिरोह बनाकर अपराध कर रहे थे। राजस्थान के झुंझुनूं जिले की बिसाऊ थाना पुलिस ने अपहरण और लूटपाट में संलिप्त इस छह सदस्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह के सदस्यों में मेरठ पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल रिंकू सिंह गुर्जर, भावनपुर थाने में तैनात हेड कांस्टेबल अमित खटाना और कंकरखेड़ा निवासी वकील आकाश शर्मा शामिल हैं।
गिरोह ने कपड़े बेचने वाले दंपती और उनके साथियों का किया अपहरण
गिरोह ने खुद को उत्तर प्रदेश एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) के अधिकारी बताकर कपड़े बेचने वाले एक दंपती समेत चार लोगों का अपहरण कर लिया। इनकी योजना उनसे पांच लाख रुपये वसूलने की थी, परंतु राजस्थान पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरोह के सदस्यों को पकड़ लिया। पुलिस ने उनके पास से एक हथकड़ी, दो गन और होलस्टर कवर बरामद किए।
वारदात का तरीका
गिरोह ने अपनी योजना को अंजाम देने के लिए पहले पीड़ितों को चूरू से झुंझुनूं जा रही बस से खासोली बालाजी धाम के पास उतारा और उन्हें जबरन अपनी गाड़ी में बैठा लिया। बस में सवार एक यात्री ने इस घटना की सूचना बिसाऊ पुलिस को दे दी। पुलिस ने गांगियासर तिराहे पर नाकाबंदी कर कार को रोकने का प्रयास किया, लेकिन आरोपी बैरिकेड्स तोड़ते हुए निकल गए। बाद में पुलिस ने कार को घेरकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान राजस्थान पुलिस का एक सिपाही घायल भी हुआ।
मुखबिरी से लेकर पूरी योजना तक की थी तैयारी
गिरोह में शामिल मुनकाद को जानकारी थी कि अपहृत दंपती के पास पैसे हैं। उसने यह बात रिंकू और अन्य आरोपियों को बताई। इसके बाद मीनू रानी और आकाश को बस में बैठाकर निगरानी करने की योजना बनाई गई। इस गिरोह ने अपने सदस्यों को पुलिस के काम करने का तरीका सिखाकर ट्रेनिंग दी थी, ताकि वे खुद को एसओजी अधिकारी के रूप में पेश कर सकें।
काली कमाई का लालच और अपराध की राह
काली कमाई की लालसा में मेरठ के पुलिसकर्मियों ने अपराध का रास्ता अपनाया। फर्जी एसओजी टीम बनाकर दूसरे राज्य में अपहरण और लूटपाट का बड़ा अपराध करने की योजना बनाई। इनकी योजना राजस्थान पुलिस के हमले से भी प्रभावित नहीं हुई। राजस्थान पुलिस की तत्परता से इस गिरोह का भंडाफोड़ हो गया, और इस घटना के कारण पुलिस की छवि को धक्का पहुंचा।