वोट वापसी कानून से थर-थर कांपेंगे नेता! देवेंद्र सक्सेना बोले-जनता पूछे पसंदीदा प्रत्याशी से सिर्फ ये एक सवाल
अजमेर उत्तर विधानसभा से इस बार अजमेर के मशहूर RTI एक्टिविस्ट देवेंद्र सक्सेना राइट टू रिकॉल पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले कई सालों से देवेंद्र सक्सेना RTI कानून के जरिए जनता को जागरूक करते आ रहे थे. इस दौरान उन्होंने ये पाया कि ना तो सरकारी विभाग, नेता या जनप्रतिनिधि, राज्य के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जनता के हित में कार्यों की जवाबदेही की जिम्मेदारी नहीं ले रहे है.
मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति को लिखा पत्र, सुनवाई नहीं
देवेंद्र सक्सेना ने सरकारी अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक को अपने पत्रों द्वारा लिखकर पूरे शहर में व अन्य राज्यों में हो रहे भ्रष्टाचार, दुखी गरीब जनता, माफियाओं के द्वारा किए जा रहे अत्याचार, भ्रष्ट नेताओं द्वारा राजकोष की लूट आदि देश हित और राज्य हित से संबंधित पत्र लिखकर जानकारियां दी. इस पर ना तो किसी सरकारी विभाग, नेता या अन्य जनप्रतिनिधी ने जिम्मेदारी ली उल्टा परिणाम में तमके के रूप मे देवेंद्र सक्सेना पर कई प्रकार से राजनैतिक, प्रशासनिक एवं सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रताड़ना देकर उनकी अवाज को दबाने की कोशिश की गई.
करियर को लगाया दांव पर, बेटे को खोया
सक्सेना ने कहा कि उन्होंने इस सबके लिए अपने करियर तक को दांव पर लगा दिया. जिसके बाद उन्हें कई वर्षों से अपने परिवार से दूर रहना पड़ा. इस बीच उनके 22 साल के इकलौते बेटे चिराग की दर्दनाक मौत हो गई और वह अपने परिवार से दूर रहने की वजह से बेटे के दाह संस्कार में एक दिन बाद पहुंच पाए. देवेंद्र सक्सेना देश भर में जनता के बीच जाकर जनता से वोट वापसी कानून बनाने की मांग को लेकर जनता को जागरूक करते आ रहे थे.जब उन्हें उनके शहर अजमेर के कुछ नेताओं ने चैलेंज किया कि इस मांग को पूरा करने के लिए आपको विधानसभा में जाना पड़ेगा और चुनाव लड़ना पड़ेगा तो उन्होंने इस चैलेंज को स्वीकार किया. इस वजह से उन्होंने निर्णय लिया वह चुनाव लड़ेंगे. वह इस बार राइट टू रिकॉल पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं.
जनता को मूलभूत सुविधाओं का टोटा
देवेंद्र सक्सेना ने चुनाव में प्रत्याशी बनने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि जब से देश में चुनाव प्रकिया लागू हुई है तब से अब तक चुनावी प्रकिया सवालों के घेरे में है? लोकतंत्र के नाम पर हर 5 साल में विधानसभा चुनाव में जनता अपना पसंदीदा चुना हुआ नेता भेजती आ रही है लेकिन ये नेता आज तक भी जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाए. जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, शामिल हैं.जनता के बीच नेता लोकतंत्र का बाजा बजाते हुए, जनता को मां-बाप समझते हुए वोट मांगते आए और जनता भी इसी को लोकतंत्र समझते हुए अपना नेता चुनती आई.
जनता को मिलता है धोखा
सक्सेना ने बताया कि जब जनता नेताओं के पास जाती है तो नेता अपना पल्ला झाड़ कर उनकी समस्याओं को नहीं सुनते. चुनाव के समय नेता हाथ जोड़कर और अन्य तरीकों से जनता को लुभावित करते हैं और वोट पाने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन आज तक जनता को उनके वोट की कीमत नहीं चुका पाए. जिसका प्रमुख कारण वर्तमान मे देश में सिस्टम को चलाने वाले किसी भी शासकीय, प्रशासकीय न्यायिक अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं होना रहा है. जिसके कारण आज भी जनता अपनी छोटी-छोटी चीजों की पूर्ती नहीं करवा पा रही है. फिर चाहे वो पार्षद का चुनाव हो या विधानसभा का..हर बार नेता सड़क, पानी, बिजली और अन्य लुभावने मुद्दे बताकर वोट हासिल करता है लेकिन उसे पूरा नहीं करता है. ऐसे में जनता वोट देकर अपना फर्ज तो निभाती है लेकिन फिर से उसे धोखा ही मिलता है.
क्या हो वोट वापसी कानून
देवेंद्रे सक्सेना का कहना है कि जिस दिन देश में वोट वापसी कानून लागू होगा तब हमारे स्थानीय नेताओं से लेकर केंद्र तक के नेताओं की जिम्मेदारी तय होगी. जब चुने नेता वोट वापसी कानून का समर्थन देते हुए काम करेंगे तब देश बदलेगा. जनता इस कानून के जरिए अपने नेता को हटाने के लिए सक्षम होगी और नेता जनता के हित में काम कर सकेगा. जिसे राम राज्य कहा जा सकता है.
देश में आएगा राम राज्य
राम राज्य के बारे में सुना गया है कि मंत्री रातों को घूमकर प्रजा की जानकारी लेकर उनके सुख दुख के बारे में राजा को बताया करते थे.जिस पर राजा उचित कार्रवाई करता था. लेकिन वर्तमान मे इसका उल्टा हो रहा है.5 साल में चुनाव के दौरान ही जनता की नेताओं को याद आती है.
जनता पूछे पसंदीदा प्रत्याशी से सिर्फ एक सवाल
राइट टू रिकॉल पार्टी कई वर्षों से जनता को मालिक होने का एहसास करवाकर नेताओं की जिम्मेदारी तय करने के लिए आई है. देवेंद्र सक्सेना का कहना है कि आप जिस भी पार्टी के समर्थक हैं जिस भी नेता को आप चाहते हैं उससे एक बार जरूर पूछें कि अगर वह काम करने में असमर्थ रहते हैं तो वोट वापस लिया जा सकता है या नहीं? चाहे नेता जी का जवाब हां हो या नहीं उनसे ये बात लिखित में लें.
अगर वह मना करते हैं तो अजमेर उत्तर की जनता मुझे जीताकर विधानसभा में भेजें और अपना अधिकार प्राप्त करें.आपको बता दें जनता चाहे तो संविधान के तहत 1/3 (वन थर्ड) बहुमत के साथ वोट वापस लेने के अधिकार की मांग कर सकती है लेकिन सरकार इसके लिए कोई गजट नहीं पास करती है.इसके उदाहरण स्वरूप देश में कई बड़े आंदोलन हुए जिसके तहत जनता की मांगों को लेकर सरकार को जनता के सामने झुकना पड़ा.