राजस्थान में लगभग 6,759 पंचायतों और 55 नगरपालिकाओं के कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव न कराने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट आज अपना निर्णय सुनाने वाला है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ इस मामले में विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। खंडपीठ ने 12 अगस्त को सुनवाई पूरी की थी और अब लगभग तीन महीने बाद फैसला सुनाया जाएगा।
जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पंचायत और नगरपालिका चुनावों को स्थगित किया है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने 16 जनवरी, 2025 को चुनाव स्थगित करने का नोटिफिकेशन जारी किया, जो संविधान के अनुच्छेद 243ई और 243के का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावों को एक दिन भी स्थगित नहीं किया जा सकता है।
पूर्व विधायक सयंम लोढ़ा की याचिका में भी यही मुद्दा उठाया गया है, जिसमें कहा गया है कि नगरपालिकाओं के चुनाव टालकर सरकार ने बिना अधिकार प्रशासक नियुक्त किए हैं। उनके अधिवक्ता पुनीत सिंघवी ने अदालत में तर्क दिया कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि प्राकृतिक आपदाओं को छोड़कर स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं टाले जा सकते हैं।
राज्य सरकार ने अपने बचाव में कहा है कि ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ की अवधारणा का परीक्षण प्रस्तावित है और इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने कहा कि परिसीमन का कार्य अभी जारी है, जिसके कारण चुनावों को स्थगित किया गया है।
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