**रूढ़ियों से संघर्ष**
सुशीला खोथ, जो बाड़मेर की रहने वाली हैं, ने अपने कठिन संघर्षों के माध्यम से भारतीय रग्बी टीम में स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने पारंपरिक मान्यताओं और आर्थिक चुनौतियों को पार करते हुए इस मुकाम तक पहुंचने में सफलता हासिल की है।
**खेल के प्रति लगाव**
सुशीला का खेल के प्रति लगाव बचपन से ही था, लेकिन रूढ़िवादी समाज में एक लड़की के लिए खेलों में करियर बनाना आसान नहीं था। उन्होंने अपने परिवार और समाज के विरोध का सामना किया और अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की।
**राष्ट्रीय स्तर पर पहचान**
अब सुशीला खोथ ताइवान में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय रग्बी टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और उनके लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है, विशेषकर उन लड़कियों के लिए जो खेलों में करियर बनाने का सपना देखती हैं।
**प्रेरणा का स्रोत**
उनकी कहानी यह दर्शाती है कि किसी भी चुनौती का सामना करके सफलता प्राप्त की जा सकती है। सुशीला खोथ की मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है, और वे अब अपने देश का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं।
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