Rajasthan जयपुर में 170 करोड़ रुपये की लागत से बने बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को हटाने का निर्णय लिया गया है। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की कार्यकारी समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया, जो सीआरआरआई (केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान) की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है।
बीआरटीएस प्रोजेक्ट का उद्देश्य और विफलता
उद्देश्य:
शहरी परिवहन की बसों के लिए अलग कॉरिडोर उपलब्ध कराना।
तेज़ और सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रदान करना।
पैदल यात्रियों के लिए ऑफ-बोर्ड टिकटिंग और इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था।
विफलता के कारण:
मॉनिटरिंग का अभाव:बीआरटीएस कॉरिडोर में निजी वाहन चलने लगे।
बसों को प्राथमिकता देने का उद्देश्य विफल हो गया।
सुविधाओं की कमी:कंट्रोल रूम और इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को लागू नहीं किया गया।
पैदल यात्रियों के लिए सुविधाओं की अनदेखी।
मध्यप्रदेश में भी विफलता
भोपाल और इंदौर में भी बीआरटीएस पूरी तरह फेल हो गया।
भोपाल में इसे हटाया जा चुका है।
इंदौर में भी हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
जयपुर में बीआरटीएस का हाल
सीकर रोड (7.1 किमी):
एक्सप्रेस-वे से अंबाबाड़ी तक।
न्यू सांगानेर रोड (9 किमी):
अजमेर रोड से किसान धर्मकांटा होते हुए बी-2 बायपास तक।
स्थानीय संगठन:
लंबे समय से बीआरटीएस हटाने की मांग कर रहे थे।
सड़क की जगह घिरने और निजी वाहनों के लिए कम स्थान उपलब्ध होने के कारण आलोचना हो रही थी।
सीआरआरआई की सिफारिश और जेडीए का निर्णय
सीआरआरआई की स्टडी:या तो बीआरटीएस को पूरी तरह लागू किया जाए या इसे हटा दिया जाए।
जेडीए का फैसला:कार्यकारी समिति की बैठक में बीआरटीएस हटाने का प्रस्ताव मंजूर।
निष्कर्ष
बीआरटीएस जैसी योजनाएं अगर सही तरीके से लागू की जाएं, तो यह शहरी परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं। लेकिन मॉनिटरिंग और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण यह प्रोजेक्ट विफल हो गया। जयपुर में बीआरटीएस हटाने का फैसला इससे जुड़े सभी पक्षों की सहमति और विस्तृत अध्ययन के आधार पर लिया गया है।