Mumbai में 18 दिसंबर की दोपहर गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा की ओर जा रही नीलकमल बोट के नेवी के जहाज से टकराने के बाद हुए हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 13 लोगों की जान चली गई, जिनमें नेवी के चार जवान और नौ सिविलियंस शामिल हैं। शहीद हुए नेवी जवानों में राजस्थान के जयपुर जिले के रेनवाल के जूनसिया गांव के रहने वाले मार्कोस कमांडो महेंद्र सिंह भी शामिल हैं।
महेंद्र सिंह: देश के सबसे खतरनाक कमांडो में से एक
महेंद्र सिंह भारतीय नेवी की सबसे खतरनाक यूनिट मानी जाने वाली मार्कोस (मरीन कमांडो फोर्स) का हिस्सा थे। 34 वर्षीय महेंद्र सिंह अपने साहस और बहादुरी के लिए जाने जाते थे। वह दो महीने बाद नेवी से रिटायर होने वाले थे। उनके पैतृक गांव में उनके शहीद होने की खबर से शोक की लहर दौड़ गई है।
कैसे हुआ हादसा?
गुरुवार 18 दिसंबर को दोपहर करीब 3:55 बजे नीलकमल बोट गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा की ओर जा रही थी। इसी दौरान नेवी के जहाज से टकराने के बाद बोट समुद्र में डूब गई। इस हादसे में महेंद्र सिंह सहित 13 लोगों की मौत हो गई। घटना के बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया, लेकिन समुद्र की गहराई और तेज लहरों के चलते कई जानें नहीं बचाई जा सकीं।
महेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार
शहीद कमांडो महेंद्र सिंह की पार्थिव देह गुरुवार देर रात जयपुर पहुंची। यहां से उन्हें उनके पैतृक गांव रेनवाल के जूनसिया ले जाया गया। शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनकी शहादत पर राजस्थान में गहरा शोक व्यक्त किया गया है।
परिवार और गांव में शोक
महेंद्र सिंह के परिवार में उनके पिता विजय सिंह और अन्य परिजन हैं। तहसीलदार कोमल यादव ने बताया कि महेंद्र सिंह का पूरा जीवन देशसेवा को समर्पित था। उनकी बहादुरी ने पूरे गांव का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। गांव में उनकी शहादत पर गर्व के साथ गम का माहौल है।
मार्कोस: भारतीय नेवी का गर्व
मार्कोस (मरीन कमांडो फोर्स) भारतीय नेवी की सबसे खतरनाक और विशिष्ट फोर्स है, जिसे समुद्र, जमीन और हवा में ऑपरेशन करने में महारत हासिल है। महेंद्र सिंह का इस फोर्स का हिस्सा होना उनकी योग्यता और वीरता का प्रमाण है।
हादसे ने उठाए सवाल
मुंबई बोट हादसे ने नेवी और बोटिंग प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हादसों से बचने के लिए सुरक्षा उपायों और समन्वय में सुधार की जरूरत है।
महेंद्र सिंह जैसे बहादुर कमांडो की शहादत देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी वीरता और त्याग आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।