Rajasthan उपचुनाव के दौरान समरावता हिंसा मामले में गिरफ्तार निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की रिहाई को लेकर उनके समर्थकों की ओर से आंदोलन की तैयारी की खबरें सामने आ रही हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस घटनाक्रम को लेकर सतर्क हो गई हैं।
आंदोलन की तैयारी
29 दिसंबर: जयपुर में बड़ा आंदोलन आयोजित होने की संभावना जताई जा रही है।
नरेश मीणा के समर्थन में देवली-उनियारा क्षेत्र में महापंचायत का आयोजन किया गया।
टोंक हाईवे जाम करने की भी तैयारी की खबरें हैं।
समर्थकों ने पहले ही 8 दिसंबर तक रिहाई का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन कोर्ट की सुनवाई टलने के बाद उनके आक्रोश में वृद्धि हुई है।
जमानत पर देरी से बढ़ा तनाव
17 दिसंबर: टोंक जिला एवं सेशन कोर्ट में नरेश मीणा की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी।
केस डायरी नहीं पहुंचने के कारण सुनवाई 23 दिसंबर तक टाल दी गई।
नरेश मीणा के साथ-साथ समरावता हिंसा के 18 अन्य आरोपी भी जमानत का इंतजार कर रहे हैं।
एजेंसियां अलर्ट
आंदोलन की संभावना को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, जयपुर में आंदोलन की तैयारी ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
टोंक में संभावित हाईवे जाम और जयपुर कूच के लिए समर्थक सक्रिय हो रहे हैं।
राजनीतिक हलचल
कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल इस प्रकरण में पूरी तरह से सक्रिय हैं।
महापंचायत में वे मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए और नरेश की रिहाई की मांग की।
नरेश के समर्थकों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि रिहाई में देरी पर राज्यभर में बड़ा आंदोलन होगा।
समरावता हिंसा मामला
यह मामला उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसमें नरेश मीणा और 18 अन्य को आरोपी बनाया गया था।
हिंसा के कारण राजनीतिक और सामाजिक तनाव गहराया।
नरेश के बढ़ते जनसमर्थन ने प्रशासन के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
निष्कर्ष
नरेश मीणा प्रकरण ने राजस्थान में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल बढ़ा दी है। आंदोलन की तैयारी और रिहाई में देरी ने समर्थकों का आक्रोश बढ़ा दिया है। आगामी 23 दिसंबर की सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं। अगर स्थिति नहीं संभली, तो राज्य में बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है।