बीकानेर के स्टेशन रोड स्थित राजमाता सुदर्शना कला दीर्घा में आयोजित एक अनूठी प्रदर्शनी ने भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास को जीवंत कर दिया। यह आयोजन नौशाद एकेडमी ऑफ हिंदुस्तानी संगीत और अमन कला केंद्र द्वारा किया गया, जिसमें ओल्ड फिल्म पोस्टर प्रदर्शनी और फिल्म संगीत कार्यक्रम का अद्भुत संगम देखने को मिला। प्रदर्शनी का उद्देश्य भारतीय सिनेमा की समृद्ध विरासत और रचनात्मकता को सिनेमा प्रेमियों और युवा पीढ़ी तक पहुंचाना था।
प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण
इस दो दिवसीय प्रदर्शनी में 1935 से लेकर वर्तमान तक की फिल्मों के दुर्लभ और ऐतिहासिक पोस्टर प्रदर्शित किए गए। इनमें हाथ से बने पोस्टरों ने दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया। ये पोस्टर न केवल कला और सिनेमा के गहरे रिश्ते को दिखाते हैं, बल्कि सिनेमा के स्वर्णिम दौर की झलक भी पेश करते हैं। प्रदर्शनी में बॉलीवुड के साथ-साथ क्षेत्रीय फिल्मों के पोस्टर भी शामिल थे, जिनमें से कई को दुर्लभ और संग्रहणीय माना जाता है।
सिनेमा प्रेमियों के लिए विशेष अवसर
यह प्रदर्शनी सिनेमा प्रेमियों और कलाप्रेमियों को भारतीय सिनेमा की समृद्ध विरासत से जुड़ने का बेहतरीन अवसर प्रदान करती है। आयोजकों ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन युवा पीढ़ी को सिनेमा के विकास और इसके रचनात्मक पहलुओं से रूबरू कराने का एक प्रयास हैं।
सिनेप्रेमियों की बड़ी संख्या में भागीदारी
प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में दर्शकों ने भाग लिया और पुराने पोस्टरों के जरिए भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास को नजदीक से जानने का अवसर प्राप्त किया। दर्शकों ने इन पोस्टरों को देखकर उस दौर की फिल्मों और उनके प्रचार के तरीकों को समझने का प्रयास किया।
कलात्मक विरासत का संरक्षण
अमन कला केंद्र हर साल इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन करता है। यह प्रदर्शनी न केवल सिनेमा के प्रति लोगों की रुचि को बढ़ावा देती है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा की कलात्मक और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण का भी प्रतीक है।
यह आयोजन बीकानेर में कला और सिनेमा के उत्सव के रूप में याद किया जाएगा। इससे न केवल भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास की झलक मिली, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।