डोटासरा इंटरव्यू राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को भारी नुकसान झेलना पड़ा। पार्टी केवल दौसा सीट जीत सकी, जबकि बीजेपी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
बागियों को फंडिंग का आरोप
डोटासरा ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि निर्दलीय उम्मीदवारों को प्रलोभन देकर फंडिंग की गई।
उन्होंने नरेश मीणा का जिक्र किया, जो टिकट न मिलने के बाद कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय के तौर पर खड़े हुए थे।
देवली उनियारा में कांग्रेस उम्मीदवार केसी मीणा के अनुसार, नरेश ने चुनाव के दौरान बड़ी मात्रा में पैसे का इस्तेमाल किया, जिसकी फंडिंग का स्रोत संदिग्ध है।
उन्होंने कहा, “सरकार ने साधनों का अनुचित उपयोग कर उपचुनाव जीते।”
टिकट बंटवारे और संगठन पर सवाल
टिकट बंटवारा:
डोटासरा ने स्वीकार किया कि टिकट बंटवारे में देरी हुई, लेकिन इसे सभी की सहमति से किया गया। उन्होंने माना कि अगर प्रक्रिया जल्दी पूरी होती, तो परिणाम अलग हो सकते थे।
संगठन की चुनौती:
पार्टी ने अपने अनुभवी नेताओं के सांसद बनने के बाद दूसरी कतार के नेताओं को तैयार करने की कोशिश की। हालांकि, यह रणनीति अपेक्षित परिणाम नहीं ला सकी।
गठबंधन के मुद्दे पर सफाई
डोटासरा ने गठबंधन से जुड़ी आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन से जुड़े फैसले पार्टी हाई कमान के स्तर पर होते हैं।
उन्होंने हनुमान बेनीवाल के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने कभी गठबंधन के लिए चर्चा या संपर्क नहीं किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य नेतृत्व गठबंधन से जुड़े निर्णयों में सीधे तौर पर शामिल नहीं होता।
हार के प्रमुख कारण
गठबंधन का टूटना: विपक्षी एकता में कमी ने भाजपा को बढ़त दी।
बागियों का प्रभाव: निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई।
स्थानीय विवाद: देवली उनियारा में मतदान के दिन हुई झड़प और झुंझुनू में गुढ़ा के प्रयासों से वोटों का ध्रुवीकरण हुआ।
आगे की रणनीति
डोटासरा ने संगठन में बदलाव का संकेत दिया और कहा कि हार के कारणों पर विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। उनका मानना है कि पार्टी को अपनी दूसरी कतार के नेताओं को और मजबूत करना होगा।
निष्कर्ष
कांग्रेस की हार कई मोर्चों पर कमजोरियों को उजागर करती है चाहे वह गठबंधन की राजनीति हो या बागियों का प्रबंधन। हालांकि, डोटासरा ने भविष्य के लिए आत्ममंथन और संगठनात्मक सुधार का भरोसा दिलाया है।