जयपुर में हाल ही में गिरफ्तार हुए लॉरेंस और रोहित गैंग से जुड़े चार बदमाशों ने पुलिस के सामने कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं। इन बदमाशों ने बताया कि गैंग में शामिल होने के लिए पहले एक टेस्ट देना पड़ता है। इस टेस्ट में पास होने के बाद ही गैंग में एंट्री मिलती है।
गैंग में एंट्री की प्रक्रिया
बदमाशों ने बताया कि गैंग से जुड़ने के लिए सबसे पहले उन्हें छोटे-छोटे टेस्ट दिए जाते हैं।
इनमें किसी के घर के बाहर रेकी करना, व्यापारियों के नंबर लाना, उनके आने-जाने का समय नोट करना जैसे काम शामिल होते हैं।
इन कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद ही उन्हें गैंग में शामिल किया जाता है।
गैंग ऑपरेशन का तरीका
गैंग के सभी आदेश फोन के जरिए मिलते हैं।
बदमाशों को एमपी से हथियार लाने और जयपुर में डिलीवरी करने का काम सौंपा जाता था।
हथियार एक तय जगह पर पत्थर के नीचे छिपा कर रखे जाते थे। बदमाश वहां जाकर उन्हें उठाते और दूसरी जगह पर पहुंचा देते।
गैंग का ऐसा सिस्टम है कि कोई भी बदमाश अपने साथी का चेहरा तक नहीं देखता, जिससे पहचान का खतरा कम हो।
फेमस होने की चाहत में जुड़ रहे युवा
गिरफ्तार किए गए बदमाशों ने बताया कि वे गैंग से इसलिए जुड़े ताकि जल्दी फेमस हो सकें और पैसा कमा सकें।
बदमाशों की सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक, कमेंट और फॉलो करने के बाद गैंग के लोग उनसे संपर्क करते थे।
गैंग के सदस्य फोन कर के खुद को लॉरेंस या रोहित गोदारा बताकर उनसे बात करते और उनकी योग्यता जांचते थे।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस उपायुक्त जयपुर उत्तर, राशि डूडी डोगरा ने बताया कि गैंग ऑपरेट करने वाले युवाओं का इस्तेमाल केवल एक “कटपुतली” की तरह करते हैं।
गिरफ्तार बदमाशों के मोबाइल फोनों की फोरेंसिक जांच की जा रही है ताकि गैंग से जुड़े अन्य लोगों तक पहुंचा जा सके।
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ये बदमाश किन-किन लोगों के संपर्क में थे और गैंग का संचालन कैसे हो रहा था।
पुलिस की चेतावनी
पुलिस ने युवाओं से अपील की है कि वे जल्दी पैसा और शोहरत कमाने के लालच में इस तरह के खतरनाक रास्ते न अपनाएं। गैंग में शामिल होकर वे केवल अपने जीवन को खतरे में डालते हैं, जबकि उनके ऑपरेटर्स सुरक्षित रहते हैं।
निष्कर्ष
यह घटना युवा पीढ़ी में बढ़ती क्राइम प्रवृत्ति को उजागर करती है। जल्द पैसा और फेम पाने की चाहत युवाओं को गलत रास्ते पर ले जा रही है।