राजस्थान में हुए सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजे शनिवार को सामने आए, जिसमें भाजपा ने दमदार प्रदर्शन करते हुए 5 सीटों पर कब्जा किया। ये चुनाव मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उनकी सरकार की नीतियों के लिए पहली बड़ी परीक्षा थी, जिसे भाजपा ने शानदार तरीके से पास किया।
भाजपा का प्रदर्शन
- भाजपा ने झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, सलूंबर, रामगढ़ सीटों पर जीत दर्ज की।
- कांग्रेस ने केवल दौसा में जीत हासिल की।
- चौरासी सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) ने बाजी मारी।
प्रमुख नतीजे और घटनाक्रम
- दौसा:
- कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा ने भाजपा उम्मीदवार और किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को 2300 वोटों से हराया।
- यह सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय थी, लेकिन आंतरिक कलह के कारण हार का सामना करना पड़ा।
- देवली-उनियारा:
- थप्पड़ कांड से चर्चित हुई सीट पर भाजपा के राजेंद्र गुर्जर ने निर्दलीय नरेश मीणा को हराया।
- कांग्रेस के कस्तूरचंद मीणा तीसरे स्थान पर रहे।
- खींवसर:
- भाजपा के रेवंतराम डांगा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) की कनिका बेनीवाल को हराया।
- इस हार के बाद राजस्थान में RLP का कोई विधायक नहीं बचा।
- झुंझुनूं:
- भाजपा के राजेंद्र भांबू ने कांग्रेस के बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को हराया।
- 21 साल बाद इस सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
- सलूंबर:
- आखिरी राउंड में भाजपा की शांता मीणा ने BAP के जितेश कुमार कटारा को हराया।
कांग्रेस की चुनौतियां
- कांग्रेस के लिए उपचुनाव में सबसे बड़ी चुनौती आंतरिक मतभेद और गहलोत-पायलट की चुनावी सक्रियता की कमी रही।
- दोनों नेता महाराष्ट्र चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे, जिससे राजस्थान उपचुनावों में कांग्रेस का प्रचार अभियान कमजोर रहा।
- कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अकेले मोर्चा संभाला, लेकिन उनके प्रयास पर्याप्त नहीं साबित हुए।
भजनलाल शर्मा की रणनीति
- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सातों सीटों पर प्रचार की कमान खुद संभाली।
- उन्होंने हर क्षेत्र में रैलियां और जनसंपर्क कर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई।
- इस प्रदर्शन से सरकार और पार्टी का प्रभाव और बढ़ा है।
सियासी समीकरणों पर असर
- भाजपा की जीत से आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का मनोबल बढ़ा है।
- कांग्रेस को आंतरिक कलह सुलझाने और चुनावी रणनीति मजबूत करने की जरूरत है।
- दौसा और झुंझुनूं जैसे गढ़ों में हार से कांग्रेस के लिए सियासी चुनौती और बढ़ गई है।
निष्कर्ष
भजनलाल सरकार ने अपने पहले टेस्ट में न केवल शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि भाजपा के मजबूत संगठन और रणनीति को भी स्थापित किया। कांग्रेस को अपने गढ़ बचाने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे, खासकर गहलोत-पायलट के आपसी सामंजस्य में सुधार की जरूरत है।