Rajasthan By-Polls-राजस्थान के चुनावों में जातिगत समीकरण का खासा प्रभाव रहता है, और जब मुकाबला एक ही जाति के प्रत्याशियों के बीच होता है, तो उपजाति और गोत्र का भी खास महत्व होता है। झुंझुनू की झांझडिया पट्टी इस बार चुनावी मुकाबले में उसी दिशा में संकेत कर रही है, जहां जाट समुदाय का दबदबा कायम है। इस चुनावी रणभूमि में कांग्रेस के अमित ओला, भाजपा के राजेंद्र भांभू और निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र गुढ़ा आमने-सामने हैं। ओला और भांभू दोनों जाट जाति से हैं, जबकि गुढ़ा राजपूत समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
झुंझुनू में जाटों का मजबूत प्रभाव
झुंझुनू सीट पर जाट समुदाय का वर्चस्व लंबे समय से बना हुआ है। 1990 के चुनाव को छोड़ दें तो 1977 से यहां जाट उम्मीदवार ही विजयी होते आए हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतार चुकी हैं, जिससे मुकाबला जाति के स्तर से आगे बढ़कर उपजाति और गोत्र के बीच सिमटता दिख रहा है। झुंझुनू की “झांझडिया पट्टी” में झांझडिया गोत्र के जाट मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
बबलू चौधरी का प्रभाव – वोट ट्रांसफर में अहम
झांझडिया गोत्र के प्रमुख नेता और 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे बबलू चौधरी का प्रभाव झांझडिया पट्टी में खास है। इस क्षेत्र में 12 पंचायतों के जाट मतदाता चौधरी का समर्थन करते हैं, जो झुंझुनू में चुनाव की दिशा तय कर सकता है। 2023 में चौधरी ने करीब 70 प्रतिशत झांझडिया वोट अपने पक्ष में खींचे थे। इस बार जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो पहले उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बनाया था, लेकिन भाजपा नेताओं के समझाने पर उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। हालांकि, उनका अपने वोट बैंक को भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में ट्रांसफर करवाना इस चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है।
झांझडिया पट्टी का महत्व
झुंझुनू में करीब 2 लाख मतदाताओं में से 75 से 80 हजार वोट जाट समुदाय के हैं। इन जाट मतदाताओं में करीब 25 हजार झांझडिया गोत्र से आते हैं। इनकी 12 पंचायतों में चिड़ावा रोड से गुड़ा रोड तक का क्षेत्र आता है, जिसे झांझडिया पट्टी कहा जाता है। यहां के मतदाताओं का समर्थन निर्णायक सिद्ध हो सकता है।
भाजपा और कांग्रेस के लिए झांझडिया पट्टी का संदेश
इस बार भाजपा के राजेंद्र भांभू और कांग्रेस के अमित ओला दोनों ही झांझडिया पट्टी के वोटरों को लुभाने की कोशिश में हैं। हालांकि, भांभू का पिछली बार का निर्दलीय बगावती इतिहास और इस बार बबलू चौधरी का समर्थन प्राप्त करने की स्थिति चुनाव के परिणामों पर असर डाल सकती है। जाट बहुल इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, और अंततः झांझडिया पट्टी के मतदाता किसके पक्ष में झुकते हैं, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
इस बार झुंझुनू में होने वाले इस चुनाव से स्पष्ट होगा कि जाट बहुल झांझडिया पट्टी का समर्थन किसे मिलेगा और यह सीट किसकी झोली में जाएगी।