मध्य प्रदेश की सत्ता और सियासत मध्य प्रदेश की सियासी हलचलें इन दिनों काफी दिलचस्प मोड़ पर हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मंत्रियों की राय कम होने लगी है और कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय की नाराजगी साफ झलक रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता जीतू पटवारी की टीम में हलचल है, और इंदौर में प्रशासनिक ढांचे में कमिश्नर सिस्टम का असर दिखने लगा है। आइए जानते हैं इस सियासी जटिलता का पूरा विवरण।
कैबिनेट में घटती मंत्रियों की रायशुमारी और मुख्यमंत्री का एकछत्र निर्णय
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली को लेकर चर्चा गर्म है। मंत्रियों के साथ बैठकों में वह सभी की राय सुनते जरूर हैं, लेकिन अंतिम निर्णय वही होता है जो मुख्यमंत्री का होता है। यह ‘सबकी सुनो पर करो मन की’ का मंत्र अर्जुन सिंह के जमाने से जुड़ा हुआ है और अब मोहन यादव पर फिट बैठता नजर आ रहा है। इसका असर यह हुआ है कि मंत्रियों ने राय देने में रुचि कम कर दी है, जिससे कैबिनेट में एकाधिकार का माहौल बनता जा रहा है।
कैलाश विजयवर्गीय की कैबिनेट से दूरी और इंदौर का मुद्दा
कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय की कैबिनेट बैठकों में अनुपस्थिति चर्चा का विषय बन गई है। एक ओर कहा जा रहा है कि वह महाराष्ट्र चुनाव में व्यस्त हैं, तो दूसरी ओर इंदौर के मामलों में पूछताछ की कमी से वह नाराज नजर आते हैं। इंदौर में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती थी, लेकिन अब वहां प्रशासनिक तंत्र पर उनकी पकड़ कमजोर होती दिख रही है, जिससे उनकी नाराजगी और भी बढ़ गई है।
जीतू पटवारी को मिली नई टीम, ‘खुश’ क्यों हैं पटवारी?
10 महीनों बाद कांग्रेस नेता जीतू पटवारी को आखिरकार अपनी टीम मिल गई है। इस टीम में क्षेत्रीय संतुलन और पुराने नेताओं का साथ है। पटवारी को दिल्ली से भी समर्थन मिला है, और उनके कई समर्थकों को टीम में जगह मिली है। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया है कि जिन चेहरों को वह चाहते थे, उन्हें टीम में शामिल करवाने में सफल रहे हैं। जो अभी बाहर हैं, उनके लिए दिलासा यह है कि एक और सूची जल्द ही आएगी।
इंदौर में कमिश्नर सिस्टम का असर और पुष्यमित्र भार्गव की असहायता
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव का वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह नगर निगम अफसरों की कम सुनवाई की शिकायत करते दिखे। उनका कहना है कि अफसरों के निर्णय पहले लिए जाते हैं और महापौर को इसकी जानकारी बाद में दी जाती है। इस स्थिति ने इंदौर में कलेक्टर और कमिश्नर सिस्टम के प्रभाव को स्पष्ट किया है, जहां अब निगम प्रशासन पर महापौर का नियंत्रण सीमित नजर आता है।
कमिश्नर संतोष कुमार सिंह की नई भूमिका
इंदौर में पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह के आगमन के बाद से कानून व्यवस्था में सख्ती देखी जा रही है। उनके नेतृत्व में इंदौर में कमिश्नर सिस्टम का असली असर दिखने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे पहले कमिश्नर मकरंद देउस्कर कागजों पर सिस्टम की मजबूती पर काम कर रहे थे, लेकिन संतोष कुमार सिंह अपने कड़े और सख्त अंदाज के लिए जाने जाते हैं, जिससे उम्मीद है कि अब इंदौर में यह सिस्टम वास्तविकता में नजर आएगा।
संघ से सीएमओ तक का सफर: राजेश हिंगनकर की नई भूमिका
कभी संघ और सुमित्रा महाजन के करीबी माने जाने वाले आईपीएस अधिकारी राजेश हिंगनकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) बन गए हैं। यह नियुक्ति कई सवाल खड़े करती है, क्योंकि उनकी भूमिका पर कई लोग विचार कर रहे हैं।
खरगोन के ‘अनीश मामू’ का कांग्रेसी पदाधिकारियों की सूची में नाम
प्रदेश कांग्रेस के 177 पदाधिकारियों की सूची में खरगोन के अनीश मामू का नाम महामंत्री के रूप में आया है। यह नाम KC वेणुगोपाल की विशेष रुचि के कारण शामिल किया गया है। यह वही मामू हैं, जो कभी अहमद पटेल के करीबी माने जाते थे।
मध्य प्रदेश की यह सियासी जंग अब नए पैंतरों और बदलावों के साथ आगे बढ़ रही है। कैलाश विजयवर्गीय की नाराजगी, जीतू पटवारी की टीम, और इंदौर में प्रशासनिक बदलावों के साथ राज्य की सियासी तस्वीर आने वाले दिनों में और भी रोचक हो सकती है।