राजस्थान उपचुनाव 23 अक्टूबर तक आ सकती है कांग्रेस की सूची राजस्थान में विधानसभा उपचुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा ने 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस की सूची का इंतजार अभी जारी है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा सोमवार को जयपुर में उम्मीदवारों के बायोडाटा लेकर दिल्ली रवाना हो गए हैं, जहां पार्टी हाईकमान के साथ बैठक के बाद सूची जारी की जाएगी। संभावना है कि कांग्रेस की सूची 23 अक्टूबर तक सामने आ सकती है।
संभावित दावेदार
कांग्रेस की सूची में कई ऐसे नाम शामिल हो सकते हैं, जो राजनीतिक परिवारों से जुड़े हैं। प्रदेश प्रभारी रंधावा का कहना है कि कांग्रेस परिवारवाद के मुद्दे पर कोई आपत्ति नहीं करती, और ऐसे में कुछ सीटें परिवार के उम्मीदवारों को मिल सकती हैं। इनमें प्रमुख रूप से रामगढ़, झुंझुनू, और देवली-उनियारा सीटें शामिल हैं।
दौसा सीट पर चर्चा है कि कांग्रेस किसी एससी चेहरे को मौका दे सकती है। मुरारीलाल मीणा पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके परिवार से कोई भी इस उपचुनाव में दावेदारी नहीं करेगा।
खींवसर सीट पर कांग्रेस-आरएलपी की बातचीत
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने साफ कहा है कि कांग्रेस सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। हालांकि, खींवसर सीट को लेकर कांग्रेस और आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के बीच बातचीत चल रही है। अगर यह गठबंधन नहीं होता, तो आरएलपी एक से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है, जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।
बीएपी ने भी ठोका दावा
उधर, बीएपी (भारतीय आदिवासी पार्टी) ने चौरासी और सलूंबर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। ये दोनों सीटें कांग्रेस के लिए चुनौती साबित हो सकती हैं, क्योंकि बीएपी ने इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और जोरदार चुनाव लड़ने का दावा किया है।
कब आएगी कांग्रेस की सूची?
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की सूची 23 अक्टूबर तक जारी होने की संभावना है। पार्टी हाईकमान के साथ बैठक के बाद अंतिम मुहर लगाई जाएगी। टिकट वितरण में राजनीतिक समीकरणों और परिवारवाद को लेकर संतुलन साधा जा रहा है, ताकि पार्टी को हर सीट पर मजबूत उम्मीदवार मिल सके।
कुल मिलाकर, राजस्थान के उपचुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। दोनों दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है, और अब सभी की निगाहें कांग्रेस की सूची पर टिकी हैं।