मुरैना नगर निगम की महापौर शारदा सोलंकी, जिन्होंने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर महापौर पद संभाला था, अब एक विवाद में फंस गई हैं। उनकी 10वीं कक्षा की मार्कशीट को फर्जी घोषित करते हुए जिला कोर्ट ने पुलिस को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
चुनावी पृष्ठभूमि
शारदा सोलंकी ने 2020 के नगर निगम चुनावों में भाजपा प्रत्याशी मीना जाटव को हराकर महापौर का पद प्राप्त किया। इसके बाद वे लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के साथ भाजपा में शामिल हो गई थीं। उनके भाजपा में शामिल होने के समय, मीना जाटव ने उनके खिलाफ 10वीं की मार्कशीट और जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताने का आरोप लगाया था, जिसके लिए उन्होंने कोर्ट में याचिका भी दायर की थी।
कोर्ट की सुनवाई
हालांकि, मीना जाटव अपने आरोप के तहत शारदा सोलंकी का जाति प्रमाण पत्र गलत साबित करने में असफल रहीं, लेकिन कोर्ट ने 10वीं की अंकसूची में गड़बड़ी को साबित कर दिया। शारदा सोलंकी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में धारा 420, 67 और 68 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
फर्जी मार्कशीट की जानकारी
शारदा सोलंकी ने जिस स्कूल से 1986 में 10वीं पास करने का दावा किया है, उस स्कूल प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि उस वर्ष इस नाम का कोई भी विद्यार्थी उनके विद्यालय में नहीं था। आईटीआई के तहत मिली जानकारी में सामने आया कि उनकी मार्कशीट पर जो रोल नंबर दिया गया है, वह किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर है। उस व्यक्ति ने किसी परीक्षा में भाग नहीं लिया था। इसके तहत पाया गया कि शारदा सोलंकी को इस छात्र के रोल नंबर पर स्वाध्यायी छात्र बताकर पास घोषित किया गया है।
स्कूल और शिक्षा बोर्ड की स्थिति
याचिकाकर्ता के वकील किशोरीलाल गुप्ता ने बताया कि जिस स्कूल से महापौर की अंकसूची बनी है, उसने भी इस अंकसूची को गलत ठहराया है। उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने भी यह स्पष्ट किया है कि उक्त रोल नंबर किसी नरोत्तम नाम के युवक का है, जो सभी विषयों में फेल है।
राजनीतिक प्रभाव
शारदा सोलंकी का यह विवाद न केवल उनकी राजनीतिक छवि पर असर डाल रहा है, बल्कि भाजपा में उनके समर्पण और वफादारी पर भी सवाल खड़े कर रहा है। जब उन्होंने कांग्रेस से भाजपा में कदम रखा था, तब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि राजनीतिक गठबंधनों और आरोपों के बीच सचाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है।
निष्कर्ष
महापौर शारदा सोलंकी का मामला एक महत्वपूर्ण राजनीतिक विवाद बन चुका है, जो उनकी भविष्य की राजनीतिक यात्रा को प्रभावित कर सकता है। इस समय मुरैना में यह मामला चर्चा का केंद्र बना हुआ है, और सभी की निगाहें कोर्ट के अगले आदेशों पर हैं। इस घटनाक्रम ने यह दर्शाया है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और व्यक्तिगत प्रमाण पत्रों की सत्यता कितनी महत्वपूर्ण होती है।