अजमेर, 13 अगस्त। विभाजन की विभीषिका को दर्शाती प्रदर्शनी का आयोजन बुधवार को प्रधान डाकघर में किया जाएगा।
प्रवर अधीक्षक अजमेर मण्डल डाकघर श्री देवीलाल सहारण ने बताया कि देश के विभाजन की पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की आग में जलकर लाखों लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा। देश के बंटवारे के दौरान नागरिकों के बलिदान और संघर्ष की याद में हर वर्ष 14 अगस्त को विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम विपरीत वातावरण में नया आसियाना तलाश रहे थे। विश्वास और धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त यह इस बात की भी कहानी है कि कैसे एक जीवनशैली तथा वर्षों पुराने सह-अस्तिव का युग अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गया ।
उन्होंने बताया कि लगभग 60 लाख गैर-मुसलमान उस क्षेत्रा से निकल आए जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे। 20 लाख गैर-मुसलमान पूर्वी बंगाल, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान बना से निकल कर पश्चिम बंगाल आए। 1950 में 20 लाख और गैर-मुसलमान पश्चिम बंगाल आए। दस लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान चले गए। इस विभीषिका में मारे गए लोगों का आंकड़ा 5 लाख बताया जाता है लेकिन अनुमानतः यह आंकडा पांच से 10 लाख के बीच है।
उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी बुधवार 14 अगस्त को विभाजन की विभीषिका पर प्रधान डाकघर परिसर, गांधी भवन चौराहा, अजमेर एवं प्रधान डाकघर, मदनगंज, किशनगढ़ में एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी जो आमजन के लिए निःशुल्क प्रदर्शित की जाएगी। आमजन से अपील है कि अधिक से अधिक संख्या में परिवार व बच्चों को लेकर प्रधान डाकघर में पहुंचकर प्रदर्शनी देखें व बच्चों को भी इसे देखने का अवसर प्रदान करें ।
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