चारण समारोह-2022चारण साहित्य शोध संस्थान में हुआ पुस्तकों का विमोचन।

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अजमेर 11 जून। चारण साहित्य शोध संस्थान में शनिवार को आयोजित चारण समारोह-2022 में पुस्तकों का विमोचन किया गया।
     चारण साहित्य शोध संस्थान के अध्यक्ष भंवर सिंह चारण ने बताया कि चारण समारोह-2022 के आयोजन में राजस्थानी तथा पींगल साहित्य पर चर्चा के साथ पुस्तकों का विमोचन किया गया। सांवल दान आशिया कृत महाभारत रूपक पुस्तक एक छंद साहित्य है। इसे साहित्य के सात आश्चर्यों में से एक की संज्ञा दी गई। पद्मश्री सी.पी. देवल ने कार्यक्रम में कहा कि पींगल गीत के 186 प्रकार बनाकर व्याख्या करना राजस्थानी भाषा से ही संभव है। इसी भाषा के माध्यम से एहर न खड़े (गति रहित ओष्ठ) गीतों की रचना की जा सकती है। इन छन्दों के गायन में होठों का उपयोग नहीं होता है। इस प्रकार के राजस्थानी छन्द शास्त्र यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि भारत विश्व गुरू रहा है।
         उन्होंने बताया कि इसी प्रकार चारण चमत्कार पुस्तक का भी विमोचन हुआ। यह मुंशी देवी प्रसाद गुप्त कृत साहित्य है। इसका सम्पादन पूर्व सांसद एवं राजस्थानी धरोहर संरक्षण व प्रोन्नति प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने किया है। यह पुस्तक प्राच्य विद्यापीठ से प्राप्त मुंशी देवी प्रसाद गुप्त की हस्तलिखित पाण्डुलिपी की सामग्री को लेकर तैयार की गई थी। इसमें चारण समाज की ऎतिहासिक विभूतियों तथा उनके कार्यों को स्थान दिया गया है। समारोह के दौरान मेरा घर-चारण सहित्य का घर की थीम के अनुसार साहित्य रखने के लिए प्रेरित किया गया।
        कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता चारण को जानें के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। इस प्रतियोगिता के लिए गोटीपा उदयपुर के राजेन्द्र सिंह देवल प्रथम, झांकर सिरोही के डॉ. नरेन्द्र सिंह द्वितीय, बासनी दधवाड़िया पाली के कुलदीप देवल तृतीय तथा सोमेसर जोधपुर के श्री नरपतदान बारहठ का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा था। इसी प्रकार राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयनित भवानीसिंह को भी सम्मानित किया गया। समारोह में कविराज भंवरदान बीठू मधुकर के चित्र का अनावरण भी किया गया। साथ ही राजस्थानी शब्दकोश को ऑनलाईन करने वाले मनोज मीसण का भी सम्मान हुआ।
        समारोह में सी.डी. देवल ने कहा कि चारण साहित्य विशाल है। इसे नई पीढ़ी को अवगत कराना चाहिए। राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत ने कहा कि यह प्रतिभावान समाज है। समाज में राजनैतिक चेतना आवश्यक है। इस क्षेत्र में सकारात्मक सोच रखने वालों के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं को जुड़ना चाहिए। समाज को आगे बढ़ने के लिए दहेज का परित्याग करना चाहिए। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री देव कोठारी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने में सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। डिंगल में त्रिकूट बंद छंद एक साथ और एक लय में गाया जाता है। इसका संरक्षण आवश्यक है। वैज्ञानिक पद्धति से साहित्य सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
       इस अवसर पर राजस्व मण्डल के  सदस्य भंवर सिंह पालावत एवं भंवर सिंह सांदू सहित पुष्पदान गढ़वी एवं समाज के गणमान्य नगारिक उपस्थित थे।

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