अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने वक्फ संशोधन बिल पर एक बार फिर अपना विरोध जताया है। उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा कि हाल ही में खबरें आई थीं कि ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने इस बिल का समर्थन किया है, जबकि उनका दरगाह से कोई संबंध नहीं है।
सैयद सरवर चिश्ती ने स्पष्ट किया कि वे 800 साल पुरानी दरगाह के खादिम हैं और 21 अगस्त को एक रिजॉल्यूशन के जरिए इस बिल का विरोध कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल का दरगाह में कोई ऑफिस नहीं है और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे से दरगाह की छवि को नुकसान हो रहा है।
साथ ही, उन्होंने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को बदनाम नहीं होना चाहिए और सूफी सज्जादानशीन काउंसिल की गतिविधियों से उनकी कौम और दरगाह की प्रतिष्ठा पर असर पड़ रहा है।
गौरतलब है कि अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन के पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती, जो ऑल इंडिया मुस्लिम सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष हैं, ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया है और केंद्रीय मंत्रियों से भी मिल चुके हैं। इसके विपरीत, अजमेर दरगाह के खादिमों ने इस बिल का विरोध करते हुए हाल ही में एक मुहिम भी चलाई थी।