जोधपुर की राजस्थान हाईकोर्ट ने जैसलमेर के ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब के संरक्षण के लिए दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार से सख्त जवाब तलब किया है। जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि “रेगिस्तान के बीच गड़ीसर तालाब को भरपूर बारिश का पानी मिल रहा है। ऐसे में मीठे पानी के संरक्षण के लिए योजनाएं बनाना सरकार का फर्ज है।” इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
याचिकाकर्ता सुनील पालीवाल ने कोर्ट में मांग की है कि गड़ीसर तालाब का कैचमेंट एरिया बढ़ाया जाए और 12 जून 1961 की अधिसूचना में तय सीमाएं बरकरार रखी जाएं। इसके अलावा, तालाब को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की भी मांग की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट मानस रणछोड़ खत्री ने पैरवी की, जबकि राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश पंवार और अतिरिक्त महाधिवक्ता राकेश शर्मा ने अपना पक्ष रखा।
कोर्ट ने जैसलमेर की पर्यटन महत्ता पर भी टिप्पणी की, यह बताते हुए कि गड़ीसर तालाब विश्व मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। कोर्ट ने कहा कि तालाब का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि यह पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि पिछले दो-तीन सीजन में गड़ीसर तालाब में पर्याप्त पानी आया है और यह अपनी कुल क्षमता से अधिक भरा हुआ है। इससे यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा हो रही है, और इस पानी के संरक्षण के लिए योजनाएं बनाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह जनहित याचिका का जवाब देते समय अदालत की टिप्पणियों को ध्यान में रखे। सरकार की ओर से वकील ने याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
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