अजमेर, 6 जून। विकसित राजस्थान-2047 के दस्तावेज तैयार करने के लिए कृषि विभाग, उद्यान विभाग, कृषि विपणन विभाग, राजस्थान एगरिकल्चर मार्केटिग बोर्ड, आत्मा, अजमेर डेयरी, सहकारिता विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषिग्राह्य केंद्र, कृषि उपज मंडी, कृषि महाविद्यालय इत्यादि के हितधारक यथा विभागीय अधिकारी, वैज्ञानिक, प्रगतिशील कृषक, कृषि उद्यमी, किसान संगठन और गैर सरकारी संस्थाओ के लगभग 100 प्रतिनिधियों ने विकसित राजस्थान- 2047 के लिए सुझावों के लिए आयोजित कार्यशाला में भाग लिया। इसमें आपसी विचार-विमर्श कर उनके सुझाव प्राप्त किये गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री भंवर सिंह पलाड़ा ने बताया की भविष्य में कृषि एवं संबंद्ध क्षेत्रों में बढ़ती हुई जनसंख्या एवं सीमित संसाधनों की उपलब्धता को देखते हुए हमारे सामने कृषि से जीविकापार्जन कार्य काफी चुनोती पूर्ण है। इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा दूरगामी सोच रखते हुए विकसित राजस्थान- 2047 का आयोजन किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण एवं कृषक हित में है।
उन्होंने कृषि उत्थान से जुड़े अधिकारियांे एवं सहभागी हितधारकों का आवाह्न किया की भविष्य में कृषकांे को नवीनतम उन्नत कृषि तकनीक अपनाते हुए कृषि में उत्पादन एवं उत्पादकता बढाकर नए आयाम स्थापित करावे। ऊर्जा के गैर परंपरागत संसाधनों जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा इत्यादि के उपयोग को बढावा देते हुए रोजगार की नई संभावनाओं की तलाशा की जाए। इससे युवा वर्ग कृषि से जुड़ कर देश हित में अपना योगदान दे सकेगा।
कार्यक्रम में जयपुर से पधारे हुए खण्ड स्तरीय प्रभारी अधिकारी एवं अतिरिक्त निदेशक श्री लक्ष्मी नारायण बैरवा ने बताया की विकसित राजस्थान-2047 दस्तावेज में किसानों के हित को ध्यान में रखकर दस्तावेज तैयार करते हुए जैविक खेती, हाई-टेक उद्यानिकी एवं उन्नत नस्ल के पशुओं का संवर्धन, वर्षा जल के सदुपयोग के लिए फार्म पौण्ड, बूंद बूंद सिंचाई पद्धति, संरक्षित खेती, उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग, किसानों को क्षेत्रा एवं मांग के अनुरूप कम पानी मांग वाली फसलांे का चयन, मृदा परीक्षण करवाते हुए सिफारिश अनुरूप संतुलित उर्वरकों का उपयोग व फार्मर प्रोड्यूसर ओर्गेनैजेशन के गठन को बढावा, महिलाओं की भागीदारी कृषि में बढ़ाने हेतु स्वयं सहायता समूहों का निर्माण इत्यादि विषयों पर विस्तृत रूप से कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों के साथ विचार विमर्श कर उनसे सुझाव आमंत्रित किए गए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) अजमेर श्री शंकर लाल मीणा ने कार्यशाला में जिले के कृषकों का आव्हान किया कि किसानों के लिए कृषि कार्य के लिए भविष्य में गुणवत्तापूर्ण पानी की कमी को देखते हुए वर्षा जल को संरक्षित करते हुए उसके उपयोग को बढावा देने वाली विभागीय योजनायो जैसे फार्म पौण्ड, सिचाई पाईप लाईन, सब्जियों में मल्चिंग, निराश्रित पशुआंे से खेती को बचाने के लिए तारबंदी अनुदान योजनाओं का अधिक से अधिक उपयोग, पौधों में कीट-व्याधि के नियंत्राण के लिए सौर ऊर्जा से संचालित पौध संरक्षण यंत्रों एवं युवा कृषकों को कृषि कार्य में रोजगार के नये साधनों जैसे ड्रोन तकनीक को अपनाते हुए उन्नत कृषि में सहभागिता पर जोर दिया।
कार्यक्रम में पशुपालन क्षेत्रा से उपस्थित प्रतिभागी डाॅ. साकेत पाठक ने विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुए दुग्ध उत्पादन को बढावा देने के लिए उन्नत नस्ल के पशुओं का पालन एवं उनके रखरखाव के लिए उन्नत तकनीकों का प्रयोग करते हुए डेयरी उद्योग को बढावा देने एवं रोगों से निदान के लिए पशु उपचार पर अपने विचार प्रकट किए।
कृ कृषि विज्ञान केंद्र अजमेर के वैज्ञानिक श्री धर्मेन्द्र सिंह भाटी ने कृषकों को कृषि उत्पादों के अधिक दाम प्राप्त करने एवं खाद्य प्रसंस्करण को बढावा देते हुए उन्नत प्रसंस्करण मशीनों जैसे कोल्ड स्टोरेज इत्यादि की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कृषि को व्यवसाय की तरह अपनाएं जाने पर जोर दिया। साथ ही अपनी आय को दुगुना बढ़ाने के लिए मिश्रित कृषि जैसे कृषि के साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गीपालन, केंचुआ उत्पादन, मधुमक्खी पालन, सुवर पालन, बकरी पालन, बतख पालन, लाख उत्पादन, रेशम उत्पादन, कृषिवानिकी इत्यादि संसाधनों पर चर्चा की।
उद्यान विभाग से कार्यक्रम में उपस्थित उपनिदेशक श्रीमती आरती यादव ने विभागीय योजनाओ जैसे ग्रीन हाऊस, शेड नेट, लो टनल, प्याज भण्डारण संरचना, सौर ऊर्जा से संचालित सिचाई पम्प द्वारा, फलदार पौधे एवं उन्नत सब्जियों की किस्मों का प्रयोग करते हुए विकसित राजस्थान-2047 की परिकल्पना प्रस्तुत की। उप पंजीकार सहकारिता विभाग श्रीमती अभिलाषा पारीक ने को-ओपरेटिव सोसायटियों में कृषक भागीदारी को बढावा देने के लिए अधिक से अधिक संख्या में सदस्यों का पंजीकरण करवा कर उन्हें मजबूत बनाने के लिए आव्हान किया।
कार्यशाला में उपस्थित सहभागी जनप्रतिनिधियों, कृषि आदान विक्रेताआंे, प्रतिनिधियों पशुपालकों कृषि उद्यंमियों कृषि विद्यार्थियों ने अपने सुझावों में गौ-पालन को प्रोत्साहन करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गौशालाओं की स्थापना कर वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण, गौमूत्रा की खरीद, उन्नत नस्ल के पशुओं के सीमन की उपलब्धता करवाना, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मंडियों में जैविक उत्पादों के लिए दुकानों गोदामों का आरक्षण एवं सरकारी खरीद, छोटी जोत वाले किसानों के लिए निराश्रित पशुओं से खेती को बचने के लिए तारबंदी में न्यूनतम भूमि सीमा को हटाना, अनुदानित योजनाओं में अनुदान राशि में वृद्धि करना, कृषि के लिए प्रयुक्त उन्नत संसाधनों जैसे कृषि यंत्रा, बीज, उर्वरक आदि से जीएसटी को खत्म करना, मृदा स्वस्थ कार्ड के आधार पर उर्वरकों की किसानों को उपलब्धता करवाना, पानी के दुरूपयोग को प्रतिबंधित करना, महानरेगा कार्मिकों का कृषि कार्यो में उपयोग करते हुए सरकारी गोचर क्षेत्रा में वृक्षारोपण करवाना, गांवों के तालाबों के विकास एवं पानी की आवक को बढ़ावा देने हेतु कैचमेंट क्षेत्रा में रूकावटों को हटवाना, एफपीओ द्वारा उन्नत कृषि यंत्रों के क्रय पर विशेष छुट प्रदान करवाना, जैविक उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण के लिए कृषि उपज मंडीयो में ही जैव प्रमाणीकरण प्रयोगशालाओ की स्थापना किये जाना। कृषकों को कृषि आदानों के गुणवता की जानकारी एवं कालाबाजारी से बचाव के लिए आदान विक्रेताओ को क्यूआर कोड पद्धति द्वारा दुकान का पूर्ण ब्यौरा प्रदर्शित करवाना, कृषकों को अवैध आॅनलाईन कृषि आदान क्रय-विक्रय करने वाले व्यक्तियों को सुसंगत अधिनियमों में लाने के लिए नियम निर्धारित किया जाना, गांवों में कृषि भूमि के नामान्तरण भूमि उपयोग में परिवर्तन चक बंदी इत्यादि को निःशुल्क किये जाने हेतु नियमों में सरलीकरण किया जाना, बिखरी हुई छोटी जोतांे का आकर बढाकर पैदावार में इजाफा किया जाना, गांवों में बंजर अनुपयोगी पड़ी भूमियों के सुधार हेतु प्रयास कर कृषि क्षेत्रा को बढाया जाना, कृषकों द्वारा ड्रोन एवं अन्य विदेशी उच्च तकनीक से लेस यंत्रों की उपलब्धता सुगम की जाना। कृषकों को कृषि साधनों यंत्रो के रख रखाव, मरम्मत उपयोग हेतु उचित प्रशिक्षण दिया जाना, कृषकों द्वारा अतिरिक्त उत्पादित सौलर बिजली को संग्रहण एवं व्यवसाय के रूप में बेचने हेतु अनुमति प्रदान की जाना, पंचायती राज विभाग की तर्ज पर प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर सहायक निदेशक कार्यालयों की स्थापना की जाना एवं कृषि में कार्यरत भूमिधारी एवं उच्च शिक्षित कृषि कार्मिकों हेतु विशेष पैकेज देते हुए मोडल फार्मिग विकसित की जाना आदि महत्वपूर्ण विषयों से अवगत करवाया।
कार्यक्रम में श्रीमती अनुप्रिया यादव सहायक निदेशक कृषि, कृषि अधिकारी श्री पुष्पेन्द्र सिह, नरेंद्र जैन, सौरभ गर्ग, पुष्पा कंवर, मुकेश माली, दिनेश चन्द्र, श्रीपाल चोधरी, कृषि अनुसन्धान अधिकारी श्री नरेन्द्र चैधरी, टीकम चंद रेगर, उत्कर्ष कुमावत, अंजू कनवाडीया, सहायक कृषि अधिकारी श्री महावीर सिंह , मनोहर चोधरी, अल्का चैधरी आदि अधिकारी द्वारा कार्यशाला आयोजन में सहयोग प्रदान किया।
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