राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण हो रही जानमाल की हानि पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दर्ज की है। जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में लगभग 100 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
कोर्ट ने विभिन्न मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि हालात बहुत चिंताजनक हैं। दैनिक भास्कर समेत अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में लगातार सड़क हादसों की खबरें आ रही हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार को तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है।
खंडपीठ ने असामयिक मृत्यु के सामाजिक और राष्ट्रीय प्रभावों पर भी ध्यान दिया। कोर्ट ने कहा कि असामयिक मृत्यु से न केवल परिवार को अपूरणीय क्षति होती है, बल्कि यह राष्ट्र की सामूहिक शक्ति को भी प्रभावित करती है।
इस मामले में सहायता के लिए पांच एमिकस क्यूरी की नियुक्ति की गई है। इन न्याय मित्रों को सड़क और सार्वजनिक सुरक्षा के नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य के विभिन्न विभागों को नोटिस जारी कर उनसे सड़क हादसों में असामयिक मौतों के कारणों का विश्लेषण करने और बेहतर विनियमन के उपायों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी, जिसमें कोर्ट ने हाल की दुर्घटनाओं में प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
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