राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली में जल्द ही बड़ा बदलाव होने जा रहा है। प्रदेश के गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम ने पुलिस के कामकाज में इस्तेमाल होने वाले उर्दू शब्दों को हटाने का निर्देश दिया है। उन्होंने इस संबंध में पुलिस महानिदेशक (DGP) को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पुलिस द्वारा अनुसंधान पत्रावलियों, आधिकारिक पत्राचार और अन्य कार्यों में उर्दू शब्दों के अत्यधिक प्रयोग पर चिंता जताई है।
राजस्थान पुलिस पत्र की मुख्य बातें
गृह राज्यमंत्री बेढम ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि पुलिस के ज्यादातर आधिकारिक दस्तावेज़ों में उर्दू शब्दों का प्रयोग व्यापक रूप से होता है, जिससे आम जनता को इन दस्तावेज़ों को समझने में कठिनाई होती है। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा को सरल और जनसुलभ बनाने के लिए उर्दू शब्दों की जगह हिंदी या अन्य सामान्य शब्दों का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि पुलिस की कार्यवाही को आम जनता तक आसानी से पहुंचाया जा सके।
सरल भाषा की आवश्यकता
राज्यमंत्री बेढम ने यह भी कहा कि पुलिस कार्यवाही को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए यह कदम आवश्यक है। उनके अनुसार, आम लोग अक्सर उर्दू शब्दों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं, जिससे जानकारी के अभाव में पुलिस कार्रवाई से संबंधित कई प्रक्रियाओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
राज्यव्यापी निर्देश
राजस्थान पुलिस इस निर्देश के बाद, पूरे राजस्थान में पुलिस विभाग से जुड़े सभी आधिकारिक कार्यों में उर्दू शब्दों के स्थान पर हिंदी या क्षेत्रीय भाषा के सरल शब्दों का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य पुलिस कार्यप्रणाली को ज्यादा प्रभावी और जनसुलभ बनाना है, जिससे लोगों को पुलिस दस्तावेज़ और कार्यवाहियों को आसानी से समझने में मदद मिलेगी।
पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस निर्देश के बाद पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि इसे अमल में लाने के लिए जल्द ही आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। पुलिस अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएंगे और सभी स्तरों पर भाषा सुधार की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
राज्य सरकार के इस फैसले का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है, बल्कि जनता और पुलिस के बीच बेहतर संचार स्थापित करना भी है।