विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बिगड़ती कानून व्यवस्था को प्रमुख मुद्दा बनाया था।
सात माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने राजस्थान में बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को प्रमुख मुद्दा बनाया था। भाजपा का कहना रहा कि कांग्रेस के पांच वर्ष के शासन में कानून व्यवस्था का बुरा हाल हो गया है। महिला उत्पीड़न के दर्ज मुकदमों की संध्या बताकर कहा गया कि अपराध के क्षेत्र में देश में राजस्थान पहले नंबर पर है। राजस्थान की जनता ने अपराध की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस से सत्ता छीनकर भाजपा को दे दी, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के शासन में स्वयं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ही सुरक्षित नहीं है। 28 जुलाई को दूसरा अवसर रहा, जब दौसा की जेल से एक कैदी ने पुलिस कंट्रोल रूम पर फोन कर कहा कि हम सीएम शर्मा को गोली मारेंगे। जान से मारने की धमकी सीएम शर्मा को पूर्व में जयपुर सेंट्रल जेल से भी दी गई। मुख्यमंत्री को दूसरी बार धमकी मिलना राजस्थान पुलिस के लिए शर्मा की बात है कि दोनों बार जेल में बंद अपराधियों ने धमकी दी है। जाहिर है कि प्रदेश की जेलों में पुलिस के बजाए अपराधियों का दबदबा है। 28 जुलाई को धमकी मिलने के बाद जब दौसा जेल की तलाशी ली गई तब दस मोबाइल फोन बरामद हुए। पुलिस जब भी किसी जले की तलाशी लेती है तो बड़ी संख्या में मोबाइल फोन बरामद होते हैं। यानी अपराध के जो हालात कांग्रेस के शासन में थे वही हालात आज भी बने हुए हैं। कांग्रेस के शासन में भी जेलों से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता था। अब भी जेलों में बंद खूंखार अपराधी बाहर आपराधिक घटनाएं करवा रहे है। यदि जेल में बैठा अपराधी प्रदेश के मुख्यमंत्री को ही गोली मारने की बात कह रहा है तो राजस्थान पुलिस के होने पर सवाल उठता है। कांग्रेस के शासन में तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपराध रोकने के बजाए पुलिस का इस्तेमाल अपनी सरकार बचाने के लिए कर रहे है। गहलोत ने सरकार र बचाने वाले पुलिस अधिकारियों को भी सेवानिवृत्ति के बाद लाभ के बाद दिए, लेकिन मौजूदा सीएम भजनलाल शर्मा को अपनी सरकार बचाने की कोई चिंता नहीं है, इसलिए पुलिस का राजनीतिकरण करने का सवाल ही नहीं उठता। अब जब पुलिस स्वतंत्र होकर काम कर रही है, तब भ मुख्यमंत्री को धमकियां मिलना शर्मनाक है। सीएम शर्मा के पास गृह विभाग भी है। ऐसे में राजस्थान पुलिस सीधे उनके अधीन है। जब पुलिस अपने गृहमंत्री को ही धमकियों से नहीं बचा पा रही है, तब आमजन के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। धमकी मिलने पर आम व्यक्ति को अपराधियों को मुंह मांगी रकम भी दे देता है। धमकी देकर लाखों रुपए वसूलने का ताजा मामला अजमेर में हुआ है। अपराधी कह सकते हैं कि जब हम जेल में बैठ कर मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी दे सकते हैं तो आम व्यक्ति को दी जाने वाली धमकी की क्रियान्विति भी कर सकते हैं। जेल में बंद अपराधियों के बुलंद हौंसलों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री को धमकी भी पुलिस कंट्रोल पर दी जा रही है। हालांकि ताजा मामले में जेल के तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। यह सिर्फ खानापूर्ति है। सरकार जब तक अपराधियों और पुलिस के गठजोड़ को नहीं तोड़ेगी, तब तक अपराधियों पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता है।