राजस्थान उपचुनाव क्यों चर्चा में आए रविंद्र सिंह भाटी राजस्थान में आगामी 13 नवंबर को सात विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार ज़ोरों पर है। इस चुनावी माहौल के बीच एक नाम अचानक चर्चा में आ गया है – रविंद्र सिंह भाटी। खास बात यह है कि भाटी खुद चुनाव नहीं लड़ रहे, लेकिन उनके बयान और गतिविधियाँ इन उपचुनावों में अहम भूमिका निभा रही हैं। आइए, जानते हैं कि इस चर्चा का कारण क्या है और किस तरह से उन्होंने चुनाव में नया मोड़ लाया है।
रविंद्र सिंह भाटी का बयान और चुनावी समर्थन
राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में रविंद्र सिंह भाटी का नाम तब उभर कर आया जब उन्होंने यह बयान दिया कि यदि किसी उम्मीदवार ने उनसे समर्थन माँगा तो वे प्रचार में उतरने के लिए तैयार हैं। भाटी के अनुसार, उनका समर्थन उन नेताओं के लिए रहेगा जो छात्र राजनीति की पृष्ठभूमि से आते हैं और प्रदेश के विकास में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। भाटी ने विशेष रूप से देवली-उनियारा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा का जिक्र किया है। नरेश मीणा, जो कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार बने हैं, का समर्थन करते हुए भाटी ने कहा कि वे नरेश के समर्थन में प्रचार करने के लिए मैदान में उतरेंगे।
हनुमान बेनीवाल का समर्थन और “5 पांडव” का पोस्टर
राजस्थान की सियासत में एक और बड़ा मोड़ तब आया जब हनुमान बेनीवाल ने भी खुले तौर पर नरेश मीणा के समर्थन का ऐलान किया। सोशल मीडिया पर नरेश मीणा का एक पोस्टर वायरल हुआ जिसमें उन्हें “5 पांडव” के रूप में दिखाया गया है। इस पोस्टर में नरेश के साथ राजकुमार रोत, हनुमान बेनीवाल, रविंद्र सिंह भाटी और चंद्रशेखर आजाद को भी जगह दी गई है। पोस्टर वायरल होने के बाद, हनुमान बेनीवाल का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें वे नरेश मीणा को समर्थन देते हुए मतदाताओं से उनके पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं।
रविंद्र सिंह भाटी की विचारधारा और समर्थन की वजह
रविंद्र सिंह भाटी का मानना है कि छात्र राजनीति से निकले हुए युवा प्रदेश की सियासत और विकास में बेहतर योगदान दे सकते हैं। उनका कहना है कि जब छात्र राजनीति से जुड़े युवा विधानसभा में पहुँचते हैं, तो वे न केवल राजनीति को नई दिशा देते हैं बल्कि प्रदेश के विकास को भी मजबूती प्रदान करते हैं। इसलिए, उन्होंने देवली-उनियारा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा और चौरासी सीट पर भारत आदिवासी पार्टी का समर्थन करने की घोषणा की है।
इस चुनावी समर्थन ने उपचुनाव के समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि इन समर्थन और गठजोड़ से चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है।