राजस्थान उपचुनाव 2024: 7 सीटों पर उपचुनाव की तारीखें जल्द घोषित, सियासी समीकरण पर नजर में जल्द ही 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा होने वाली है। चुनाव आयोग आज दोपहर 3:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इन चुनावों की तारीखें घोषित कर सकता है। इन उपचुनावों में दौसा, देवली उनियारा, चौरासी, खींवसर, झुंझुनू, सलूंबर और रामगढ़ सीट शामिल हैं, जो विभिन्न कारणों से खाली हुई हैं। इनमें से कुछ सीटें सांसद बने विधायकों के कारण खाली हुईं, जबकि अन्य सीटें विधायकों के निधन से खाली हुईं हैं।
उपचुनावों का कारण और सियासी गणित
राजस्थान की इन सात सीटों में से पांच सीटें उन विधायकों के सांसद बनने के कारण खाली हुई हैं। वहीं, सलूंबर सीट विधायक अमृतलाल मीणा और रामगढ़ सीट विधायक जुबेर खान के निधन के कारण खाली हुई। इन सात सीटों में से 4 कांग्रेस के पास थीं, 1 राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) और 1 बीजेपी के पास थी।
राज्य की सबसे बड़ी पार्टियां—कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)—पहले से ही इन उपचुनावों के लिए पूरी तरह तैयार हैं। दोनों पार्टियों के बड़े नेता इन सीटों पर अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा रहे हैं। जहाँ बीजेपी अपनी मौजूदा सरकार के 10 महीने के कार्यकाल के आधार पर वोट मांगने उतरेगी, वहीं कांग्रेस अपनी पूर्ववर्ती योजनाओं और मौजूदा सरकार की कमियों को उजागर करेगी।
गठबंधन का नया समीकरण
उपचुनाव की सियासत में इस बार एक दिलचस्प मोड़ यह है कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) इस बार कांग्रेस के साथ नहीं होगी। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिन वोटरों ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन को वोट दिया था, अब वे किस दिशा में जाते हैं। यह चुनाव कई मायनों में इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि बिना गठबंधन के राजनीतिक दलों के लिए यह वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने का एक बड़ा चैलेंज साबित होगा।
प्रमुख सीटों पर चुनावी विरासत
1. दौसा
कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई। उनके परिवार से उनकी पत्नी सविता मीणा और बेटी प्रमुख दावेदार हैं। वहीं बीजेपी से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा भी मैदान में हो सकते हैं।
2. झुंझुनू
बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने के बाद, उनके पुत्र अमित ओला कांग्रेस के टिकट के प्रबल दावेदार हैं। वहीं, बीजेपी से पिछले चुनाव में हारे निशित चौधरी फिर से दावा कर रहे हैं।
3. सलूंबर
दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी, जो पहले से सरपंच हैं, इस सीट पर बीजेपी की तरफ से दावेदारी कर सकती हैं। कांग्रेस से रघुवीर मीणा का नाम प्रमुख है।
4. खींवसर
यह सीट सांसद हनुमान बेनीवाल की परंपरागत सीट है। उनके भाई नारायण बेनीवाल या उनकी पत्नी चुनावी दावेदारी कर सकती हैं। कांग्रेस से ज्योति मिर्धा दौड़ में हैं, जो इससे पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं।
5. चौरासी
यहां भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) का प्रभाव है। बीएपी के राजकुमार रोत के सांसद बनने से यह सीट खाली हुई। बीएपी ने इस सीट पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं और अन्य एसटी बाहुल्य सीटों पर भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
6. रामगढ़
इस सीट पर लंबे समय से परिवारवाद का दबदबा रहा है। जुबेर खान की मृत्यु के बाद कांग्रेस से इमरान प्रमुख दावेदार हैं। वहीं, बीजेपी से बागी सुखविंदर को टिकट मिल सकता है।
चुनौतियों का सामना
इन उपचुनावों में सभी दलों के लिए प्रमुख चुनौती यह होगी कि कैसे वे जनता का समर्थन प्राप्त कर सकें। मौजूदा बीजेपी सरकार विकास के नाम पर वोट मांग रही है, वहीं कांग्रेस और अन्य दल अपनी रणनीति तय कर रहे हैं। इन चुनावों का परिणाम आगामी विधानसभा चुनावों और राज्य की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।