मेवाड़ के राजपरिवार और वहां की जनता के बीच भगवान एकलिंगजी का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध है। एकलिंगजी, जिन्हें भगवान शिव का रूप माना जाता है, मेवाड़ के अधिष्ठाता देवता हैं। यह मान्यता है कि मेवाड़ के राजा स्वयं को एकलिंगजी का दीवान (प्रतिनिधि) मानते हैं और राज्य का सारा शासन उनके नाम पर चलता है।
धार्मिक आस्था का केंद्र
उदयपुर से लगभग 22 किमी दूर स्थित एकलिंगजी मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर 8वीं सदी में बनाया गया था और इसमें भगवान शिव की चार मुखों वाली चतुर्मुखी मूर्ति स्थापित है। मंदिर परिसर में भगवान शिव के विभिन्न रूपों को दर्शाने वाले कई छोटे मंदिर भी हैं।
राजपरिवार और जनता के बीच संबंध
इतिहास में राजाओं ने एकलिंगजी की सेवा और पूजा को सबसे बड़ा कर्तव्य माना। युद्ध में जाने से पहले और राज्य के महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले वे एकलिंगजी का आशीर्वाद लेते थे। यह परंपरा आज भी जीवित है, और मेवाड़ का राजपरिवार इस परंपरा को सहेज कर रखे हुए है।
सांस्कृतिक धरोहर
मेवाड़ की जनता के लिए एकलिंगजी केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान और गौरव का प्रतीक हैं। यहां के त्योहारों और धार्मिक आयोजनों में एकलिंगजी का प्रमुख स्थान होता है।
एकलिंगजी की पूजा की विशिष्टता
एकलिंगजी की पूजा में अनुशासन और परंपरा का खास ध्यान रखा जाता है। यहां शिव की आराधना शैव परंपरा के अनुसार होती है।
यह आस्था और परंपरा न केवल मेवाड़ के राजपरिवार और जनता को जोड़ती है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक गौरव को भी जीवंत बनाए रखती है।