आज, 2 अक्टूबर 2024 को, पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है। यह दिन हर भारतीय के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस अवसर पर देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें बापू की याद में श्रद्धांजलि दी जा रही है।
राजघाट में श्रद्धांजलि का कार्यक्रम
हर साल की तरह इस साल भी महात्मा गांधी की जयंती पर दिल्ली स्थित राजघाट में विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। राजघाट वही स्थान है, जहां महात्मा गांधी की समाधि स्थित है, और हर वर्ष उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने यहां आते हैं।
आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने बापू के सिद्धांतों और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग को याद करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए गांधीजी की शिक्षाओं का पालन करने का संदेश भी दिया।
इसके अलावा, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी राजघाट पहुंचे और उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने भी बापू की महानता को याद करते हुए कहा कि उनके विचार और सिद्धांत आज भी समाज और राजनीति में मार्गदर्शक बने हुए हैं।
महात्मा गांधी के विचार और उनका महत्व
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, लेकिन वे पूरे देश और दुनिया भर में ‘महात्मा’ और ‘बापू’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने अद्वितीय नेतृत्व से एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने अहिंसा (नॉन-वॉयलेंस) और सत्याग्रह (सत्य के लिए संघर्ष) के माध्यम से ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गांधीजी का मानना था कि हिंसा से कभी भी स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने हमेशा शांति, प्रेम और करुणा के मार्ग को अपनाया। उनके सिद्धांत सिर्फ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में अन्याय और हिंसा के खिलाफ संघर्ष करने वाले आंदोलनों के लिए प्रेरणा बने। गांधीजी का विचार था कि यदि हम दुनिया में बदलाव लाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा। उनके इस विचार को संपूर्ण विश्व में सराहा जाता है और आज भी लाखों लोग उनके आदर्शों को मानते हैं।
अन्य नेताओं और गणमान्य लोगों की उपस्थिति
महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि अर्पित की, बल्कि देशभर के कई अन्य नेता और गणमान्य लोग भी राजघाट पहुंचे। उपराष्ट्रपति, विभिन्न केंद्रीय मंत्री और अन्य प्रमुख नेताओं ने भी महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी ने गांधीजी के सिद्धांतों को याद करते हुए उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
राजघाट पर होने वाले इस कार्यक्रम में धार्मिक भजन और गांधीजी के पसंदीदा गीत जैसे ‘रघुपति राघव राजा राम’ का गायन हुआ, जो उनके जीवन और उनके सिद्धांतों को समर्पित है। इस अवसर पर देशभर के विद्यालयों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में भी महात्मा गांधी की याद में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
महात्मा गांधी की जयंती: एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व
महात्मा गांधी की जयंती को सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया, ताकि दुनिया भर में गांधीजी के अहिंसा के संदेश को फैलाया जा सके।
गांधीजी का मानना था कि अहिंसा सिर्फ शारीरिक हिंसा से बचने का तरीका नहीं है, बल्कि यह विचार और कार्यों में शांति और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू में अहिंसा का पालन किया, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो या राजनीतिक गतिविधियां। इसीलिए, उनकी जयंती का दिन दुनियाभर में शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाने के लिए समर्पित किया गया है।
गांधीजी के विचारों की आज की प्रासंगिकता
आज जब दुनिया कई तरह के संघर्षों और हिंसा से जूझ रही है, महात्मा गांधी के विचार पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं। चाहे वह पर्यावरण संरक्षण हो, सामाजिक न्याय, समानता, या जातिगत भेदभाव का मुद्दा, गांधीजी के सिद्धांत हर समस्या का समाधान पेश करते हैं।
गांधीजी ने हमेशा सत्य और अहिंसा को जीवन का मूल सिद्धांत माना, और यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है। आज भी, यदि हम उनके आदर्शों का पालन करें, तो हम न केवल व्यक्तिगत रूप से बेहतर इंसान बन सकते हैं, बल्कि एक बेहतर समाज और दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।