मदन राठौड़ धमकी प्रकरण ने राजस्थान की राजनीति में गरमा-गरमी पैदा कर दी है। नेता प्रतिपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस के शासन में विधायकों और पार्टी के नेताओं की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा, “जब इनकी सरकार में खुद पार्टी अध्यक्ष ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा की क्या उम्मीद की जा सकती है?”
क्या है मामला?
कांग्रेस नेता मदन राठौड़ को कथित तौर पर धमकी मिलने के बाद यह विवाद शुरू हुआ। मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ा और सत्तारूढ़ कांग्रेस व विपक्षी भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
नेता प्रतिपक्ष का हमला
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में अपराधियों का हौसला बढ़ा हुआ है और सरकार उनकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में नाकाम रही है।
राज्यवर्धन राठौड़ का पलटवार
भाजपा नेता और सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा, “मदन राठौड़ को धमकी देने का मुद्दा गंभीर है, लेकिन इसे राजनीति का रंग देना राज्य की जनता के साथ अन्याय है।”
भाजपा-कांग्रेस के बीच बढ़ा तनाव
इस प्रकरण ने राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक खाई को और गहरा कर दिया है। जहां कांग्रेस ने इसे अपनी पार्टी के नेताओं की सुरक्षा का मुद्दा बताया है, वहीं भाजपा इसे प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था और सरकार की नाकामी के रूप में देख रही है।
जनता के बीच चर्चा
इस विवाद ने राज्य की जनता का ध्यान आकर्षित किया है। लोग इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
मदन राठौड़ धमकी प्रकरण ने राजस्थान की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है, जो आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।