सांसद चौधरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को लिखा पत्र, रखी मांग।
साथ ही पंचायत स्तर पर ’’स्थायी खरीद केन्द्र’’ की भी हो स्थापना।
अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को गत दिनों लोकसभा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान किसानों , ग्रामीणों एवं अन्नदाताओं ने प्रदेश में बाजरे की खरीद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य सरकार द्वारा शुरु कराने हेतु ज्ञापन दिया और मांग रखी। सांसद चौधरी ने प्रदेश के अन्नदाताओं की मांग पर उचित एवं त्वरित कार्यवाही कराकर बाजरे की खरीद अविलम्ब प्रारम्भ करने हेतु राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं मुख्य सचित निरंजन आर्य को पत्र लिखा और पत्र के माध्यम से उन्हें अवगत कराया कि प्रदेश में खरीफ फसल 2021 के अन्तर्गत बाजरें का लगभग 50 लाख टन उत्पादन की संभावना है। हमारा प्रदेश देश का सर्वाधिक बाजरा उत्पादन करने वाला प्रदेश है। जहां प्रदेश के बुवाई क्षेत्र का 66 प्रतिशत हिस्से में बाजरें की बुवाई प्रदेश के किसान करते है। अर्थात् देश का लगभग 44 प्रतिशत बाजरा हमारे प्रदेश में ही पैदा होता है। इसलिये बाजरा हमारें प्रदेश के अन्नदाताओं का ’’सोना’’ भी माना जाता है। सर्वविदित है कि ज्वार, बाजरा, जौ व रागी आदि मोटे अनाजों में पौष्टिक क्षमता सर्वाधिक होने के कारण ’सयुक्त राष्ट्र महासंघ’ ने भी हमारें देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुये आगामी वर्ष 2023 को विश्व में ’इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स’ अर्थात् ’’अर्न्तराष्ट्रीय बाजरा वर्ष’’ घोषित किया है। और स्वतंत्रता दिवस 2021 के अपने राष्ट्र के नाम उद्बोधन में माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश में कुपोषण से लडनें के लिये पोषक अनाजों की महत्वता के बारे में बताया था। तथा बाजरा पोषक आहार की श्रेणी में आज अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चूकिः केन्द्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिये बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये तय भी किया है। लेकिन राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों से बम्पर पैदावार के बावजूद बाजरें की खरीद अभी तक प्रारम्भ नहीं की है। और न ही कोई रोडमैप तैयार किया गया है। जिससे प्रदेश का किसान एवं अन्नदाता चिंतित और बैचेन हो रहा है। जबकि केन्द्र सरकार खरीदे गये बाजरें को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरण कराने को तैयार हैं। लेकिन गत वर्ष 2020 में भी आपकी सरकार ने एमएसपी पर बाजरा खरीद का प्रस्ताव केन्द्र को नहीं भेजा था। जिसके चलते प्रदेश के अन्नदाताओं को मजबूरीवश घाटा खाकर मण्डी में लागत से भी कम दाम यानी औनपोने दामों पर अपनी बाजरा फसल को बेचना पडा। जबकि केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 रुपये तय किये थें। और अकेले बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से प्रदेश के अन्नदाताओं को लगभग 5000 करोड का नुकसान हुआ था। और प्रदेश का किसान अपने आप को लूटा एवं ठगा सा महसूस कर रहा था। अत आप जल्द से जल्द प्रदेश के अन्नदाता, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को भिजवानें और बाजरा खरीद का सुगम बनाने के लिये ’’स्थायी खरीद केन्द्र’’ पंचायत स्तर पर ही स्थापित कराने हेतुु संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करावें। ताकि प्रदेश के अन्नदाताओं को अपनी फसल का पूर्ण मूल्य मिल सकें एवं उनके आर्थिक शोषण को रोका जा सकें। और इसके साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से जन-जन तक बाजरे जैसे मोटे अनाज के रुप में पोषक आहार को पहूचायां जा सकें।